नैनीतालः मौसम की बेरुखी के चलते नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्रों के जल स्रोत सूखने की कगार पर हैं. बारिश और बर्फबारी न होने से प्राकृतिक जल स्रोत रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं. इतना ही नहीं हमेशा पानी से लबालब रहने वाले वाले जल स्रोत अप्रैल माह में ही सूख चुके हैं. जिससे गर्मी का मौसम आते ही पेयजल संकट गहराने लगा है.
सूखने की कगार पर जल स्रोत. उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी के चलते अधिकांश क्षेत्रों में अब जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. जिस वजह से पहाड़ के लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि हमेशा पानी से लबालब भरे रहने वाले जल स्रोत अप्रैल माह में ही सूख चुके हैं और आने वाले मई-जून महीने में जब भीषण गर्मी पड़ेगी, उस समय स्थानीय लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ सकता है.
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बारिश न होने से सूख रहे जल स्रोत
स्थानीय निवासी नीरज जोशी का कहना है कि बीते साल अक्टूबर महीने से नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्रों में बारिश न के बराबर हुई है. जबकि, बर्फबारी तो बिल्कुल भी नहीं हुई. जिस वजह से जल स्रोत पूरी तरह से सूख चुके हैं. साथ ही नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर, अल्मोड़ा के अधिकांश नदियों का जलस्तर भी तेजी से गिरने लगा है. जो आने वाले समय में स्थानीय लोगों के लिए पेयजल समेत सिंचाई जल के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है.
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नैनीताल में अप्रैल महीने में हुई बारिश
अप्रैल महीने में हुई बारिश की स्थिति. वेटलैंड में अतिक्रमण से जल स्रोत पर संकटः पर्यावरणविद् अजय रावत
वहीं, जाने-माने पर्यावरणविद अजय रावत बताते हैं कि नैनीताल में वेटलैंड में अतिक्रमण होने की वजह से जल स्रोत आज सूखने की कगार पर जा पहुंचे हैं. वहीं दूसरी ओर नैनी झील का जलस्तर भी तेजी से घटा है. अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई तो स्थानीय लोगों को पानी की किल्लत से दो-चार होना पड़ेगा.