नैनीताल:जिले में धारी तहसील (Nainital Dhari Tehsil) का काल गांव साल 1993 से भूस्खलन (Nainital Kal Village Landslide) की चपेट में है. जहां से कई परिवारों ने पलायन कर लिया है. ग्रामीणों ने सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है. हल्की सी बारिश में ही पहाड़ दरकने और आशियाना धंसने का डर ग्रामीणों को सताता है, जिससे उनकी बरसात में रातों की नींद गायब हो जाती है.
काल गांव में भूस्खलन के चलते दहशत में ग्रामीण, खतरे की जद में कई परिवार - दहशत में ग्रामीण
उत्तराखंड में कई गांव भूस्खलन की चपेट में हैं. उन्हीं में से एक नैनीताल जिले के धारी तहसील का काल गांव भी है. ग्रामीण सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं. गांव 18 सितंबर 1993 से भूस्खलन की चपेट में आकर बर्बादी की ओर सरकता जा रहा है. आसमान में बादल और बारिश की आहट काल गांव वासियों को अब पिछली आपदा की तस्वीर याद दिलाती है.
नैनीताल जिले का काल गांव भी उन्हीं गांव में से एक है जो भूस्खलन (Nainital Kal village disaster) की चपेट में हैं और लोग सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं. गांव 18 सितंबर 1993 से भूस्खलन की चपेट में आकर बर्बादी की ओर सरकता जा रहा है. आसमान में बादल और बारिश की आहट काल गांव वासियों को अब पिछली आपदा की तस्वीर याद दिलाती है. तबाही का वो मंजर ग्रामीणों के घावों को हरा कर देता है और उस भयावह तस्वीर को याद कर उनकी रूह कांप जाती है.
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गांव में 150 से ज्यादा परिवार हैं. 50 फीसदी मकान भूस्खलन की जद में हैं. काल गांव खेती किसानी के लिहाज से मशहूर है. फल सब्जी का यहां बेहतर उत्पादन होता है, लेकिन गांव के टूटे रास्तों की वजह से माल का ढुलान बाजार तक नहीं हो पा रहा है. अभी भी बारिश के दौरान ग्रामीण सहमे हुए हैं. ग्रामीणों ने सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है. जिससे उनके सिर से आपदा का साया हट सके. वहीं जिलाधिकारी नैनीताल धीराज सिंह गर्ब्याल (Nainital DM Dhiraj Singh Garbyal) ने कहा कि जियोलॉजिस्ट और राज्य की टीम को गांव में भेजा जाएगा. जिससे गांव की वास्तविक हालत का पता चलेगा.