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बिजली-पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित आमडंडा खत्ता के लोग, HC ने केंद्रीय पर्यावरण सचिव को किया तलब

नैनीताल जिले के रामनगर में आमडंडा खत्ता के निवासियों को मूलभूत सुविधा से वंचित रखने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पर्यावरण सचिव केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर तलब किया है. इस मामले में वत्सल फाउंडेशन (Vatsal Foundation) की तरफ से उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट

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Published : May 18, 2022, 5:03 PM IST

नैनीताल: वत्सल फाउंडेशन (Vatsal Foundation) ने नैनीताल जिले के रामनगर में आमडंडा खत्ता के निवासियों को बिजली, पानी और स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाएं दिलाये जाने को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर बुधवार (18 मई) को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई की. सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.

खंडपीठ ने इस मामले में पर्यावरण सचिव केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 22 जून तक जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 22 जून की तिथि नियत की है. मामले में आज कॉर्बेट नेशनल पार्क एवं बिजली विभाग की तरफ से शपथ पत्र पेश किए गए.
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बिजली विभाग की तरफ से कहा गया कि इलाके में लाइन डालने को तैयार है. इसके लिए 14 पेड़ों की लोपिंग होनी है, लेकिन कॉर्बेट नेशनल पार्क के अधिकारियों ने इसकी अनुमति नहीं दी है. कॉर्बेट नेशनल पार्क की तरफ से कहा गया है कि इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी. वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उनको मूलभूत अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि बिजली की लाइन के लिए कोई पेड़ नहीं काटे जा रहे हैं, सिर्फ 14 पेड़ों को लोपिंग की जानी है. इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक नहीं है. अगर एक हेक्टयर में 75 से ज्यादा पेड़ कट रहे है तो पार्क प्रशासन को केंद्र सरकार सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है.
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मामले के अनुसार याचिकाकर्ता का कहना है कि आमडंडा क्षेत्र में विद्युतीकरण को लेकर 2015 में धनराशि आवंटित हो गयी थी. संयुक्त निरीक्षण के अनुसार आमडंडा में विद्युतीकरण के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा जाना है. जबकि केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ प्रति हेक्टेयर 75 से अधिक पेड़ काटे जाने पर ही वन ग्राम में विद्युतीकरण हेतु केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है, लेकिन इस मामले में अधिकारियों की हीला हवाली के कारण 2015 से आज तक विद्युतीकरण नहीं हो पाया है.

इसी तरह आमडंडा में पेयजल को लेकर भी वर्ष 2012 से आज तक कोई कार्रवाही नहीं हो पाई है. याचिकाकर्ता का कहना था कि आमडंडा खत्ता के ग्रामीण बिजली, पानी और शिक्षा के अभाव में कष्टमय जीवन जी रहे हैं. अधिकारियों द्वारा लगातार उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं दिलाई जाय.

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