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स्टोन क्रशर नियमावली को चुनौती देने का मामला, HC ने राज्य और प्रदूषण बोर्ड से मांगा जवाब

Nainital High Court स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट लगाए जाने हैं, जिसको लेकर आज नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई है. जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार व राज्य प्रदूषण बोर्ड से चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं.

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 20, 2023, 5:56 PM IST

Uttarakhand High Court
Uttarakhand High Court

नैनीताल: उत्तराखंड में सरकार द्वारा केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की नियमावली व उच्च न्यायालय के निर्देशों के विरुद्ध जाकर प्रदेश में बड़े पैमाने पर स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट लगाने के लाइसेंस दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व राज्य प्रदूषण बोर्ड से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल की तिथि नियत की गई है.

मामले के अनुसार अल्मोड़ा के पंत गांव की इंडिपेंडेंट मीडिया सोसाइटी ने जनहित याचिका दायर की है. जिसमें राज्य सरकार की स्टोन क्रशर नियमावली को चुनौती दी गई है. राज्य सरकार ने नियमावली में आबादी की परिभाषा को बदल दिया है. जिसकी आड़ में बड़ी संख्या में लोगों को आबादी क्षेत्र में स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट लगाने की अनुमति दी जा रही है. राज्य सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियमावली , 2010 में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों व एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को भी दरकिनार कर आबादी क्षेत्रो में स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट लगाने की अनुमति दी जा रही है, जो नियम विरुद्ध है.
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जनहित याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की गई है कि केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की नियमावली का कड़े से पालन करवाया जाए. निर्धारित एरिया में स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट लगाने की अनुमति दी जाए और प्रतिबंधित क्षेत्रों से इनको हटाया जाया, जिनको कोर्ट के आदेश होने के बाद भी अभी तक नहीं हटाया गया है. उत्तराखंड पहला राज्य है, जो स्टोन क्रशर संचालन हेतु 25 साल के लिए लाइसेंस दे रही है. वर्तमान समय मे 422 स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट संचालित हैं, जो पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है.

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