नैनीताल:उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इंडिपेंडेंट मेडिकल इनिशिएटिव संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार और सचिव वन से यह बताने को कहा है कि हाथी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का कितना अनुपालन हुआ है, इसकी रिपोर्ट 27 फरवरी तक रिपोर्ट पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.
8 दिसंबर को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इन दिशा निर्देशों का पालन करने की पावर केंद्र सरकार के वाइल्ड लाइफ बोर्ड को है, जो सरकार ने भेजी है. जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने अभी तक पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का अनुपालन नहीं किया.
- पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह रामनगर मोहान रोड पर जिम कॉर्बेट पार्क से लगते हुए हाथी कॉरिडोर वाले इलाके को इको सेंसिटिव जोन का दर्जा देने पर विचार करे.
- कोर्ट ने भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेश दिया था कि रामनगर-मोहान रोड पर पड़ने वाले हाथी कॉरिडोर के इलाकों में अब नए होटल, रिजॉर्ट और रेस्टोरेंट जैसे निर्माणों की किसी भी रूप में अनुमति न दें.
- हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर जो कि प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा इस इलाके में सीमांकन किए गए हैं, उनका तुरंत संरक्षण शुरू करें.
- मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड, डीएफओ रामनगर, डीएफओ अल्मोड़ा और निदेशक कॉर्बेट पार्क को आदेशित किया था कि एलीफेंट कॉरिडोर वाली रोड पर रात्रि में 10 बजे से सुबह 4 बजे तक पर्याप्त नाइट गार्ड की व्यवस्था की जाए. ताकि हाथी आसानी से कोसी नदी तक पहुंच सकें और अवांछित रात्रि ट्रैफिक पर लगाम लगाएं.
- भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेशित किया था कि इन इलाके में हाथियों के आवाजाही के लिए अंडरपास की व्यवस्था किए बिना भविष्य में किसी सड़क का निर्माण न किया जाय.
- हाथियों को सड़क पार करते समय वन विभाग द्वारा मिर्च पाउडर का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई थी जो कि जारी है और पुनः आदेश किया था कि हाथियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए अमानवीय तरीकों का प्रयोग किसी भी हाल में न किया जाए. इन निर्देशों का पालन करने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी. लेकिन आज तक इनका अनुपालन नहीं हुआ.