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पूर्व सीएम बकाया मामला: कोश्यारी ने कोर्ट में दाखिल किया शपथ पत्र, कहा- किराया चुकाने को पैसे नहीं - नैनीताल हाई कोर्ट

सरकार ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट पेश की थी. पूर्व सीएम निशंक पर 40.95 लाख, भुवन चंद्र खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख और भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख रुपए बाकी है जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री स्व: नारायण दत्त तिवारी पर 1 करोड़ 13 लाख की देनदारी है.

नैनीताल हाई कोर्ट

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Published : Feb 26, 2019, 9:12 PM IST

Updated : Feb 27, 2019, 2:54 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास और अन्य सुविधा देने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब जल्द ही मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी. वहीं, कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी द्वारा पेश किये शपथ-पत्र पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

बता दें कि कोर्ट में इस मामले को लेकर सरकार ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल 'निशंक' पर 40.95 लाख, भुवन चंद्र खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख और भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख रुपए बाकी है. जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री स्व: नारायण दत्त तिवारी पर 1 करोड़ 13 लाख की देनदारी है.

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वहीं, इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और रमेश पोखरियाल निशंक के वकील ने कोर्ट में बताया कि उन्हें इस बात का पता नहीं है कि वर्तमान समय में आवास का किराया क्या है और उन्हें सरकार को कितने रुपए देने है. उनके द्वारा सरकारी रेट पर किराया जमा किया है. जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कोर्ट में शपथ-पत्र दाखिल करके बकाया राशि जमा करने की असमर्थता जताते हुए कहा था कि उनके पास पैसे नहीं है.जबकि, कोश्यारी के शपथ-पत्र के विरोध में याचिकाकर्ता ने कोश्यारी का 2007 का चुनाव वाला शपथ पत्र कोर्ट में पेश किया. जिसके बाद कोर्ट ने कोश्यारी के शपथ-पत्र पर नाराजगी व्यक्त की.

गौरतलब है कि देहरादून की रुरल लिटिगेशन संस्था ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा जो सरकारी भवन और अन्य सुविधाएं दी जा रही है. वह असंवैधानिक है. लिहाजा, जो पूर्व मुख्यमंत्री इन सरकारी आवास में रहे. उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूला जाए. बहरहाल, कोर्ट ने आज इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख दिया है.

Last Updated : Feb 27, 2019, 2:54 PM IST

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