उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

उत्तराखंड हाईकोर्ट का आदेश, सभी ग्राम पंचायतों को कूड़ा निस्तारण सुविधा उपलब्ध कराकर पेश करें रिपोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट में सोमवार 20 मार्च को प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर प्रतिबंध लगाए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सचिव पंचायतीराज को कुछ जरूरी दिशा-निर्देश दिए. साथ ही उसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने को कहा.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Mar 20, 2023, 7:38 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने सचिव पंचायतीराज को निर्देश दिए हैं कि सभी ग्राम पंचायतों को कूड़ा निस्तारण की सुविधा उपलब्ध कराकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

इसके साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के नियम जिसमें इसका उल्लंघन करने पर पांच हजार से लेकर दो करोड़ रुपए तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है, उसको लागू कर रिपोर्ट पेश करें. कूड़ा निस्तारण के लिए आवंटित भूमि पर जिन लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है, उसके लिए अलग से शपथ पत्र पेश करें.
पढ़ें-पंजाब में खालिस्तान मूवमेंट के चलते उत्तराखंड में भी अलर्ट, उधम सिंह नगर में संदिग्ध गतिविधियों पर पुलिस की नजर

इसके अलावा हर महीने में पांच दिन जहां-जहां कूड़ा फैला रहता है. उसकी जांच करें. इसमे प्रदूषण बोर्ड, पुलिस, शहरी विकास व जिला प्रशासन के सदस्य को भी शामिल करें और कूड़ा फैलाने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाकर उसकी वसूली कर उसकी भी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 19 मई की तिथि नियत की है.

सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास, सचिव पंचायतीराज, सचिव वन एवं पर्यावरण और निदेशक शहरी विकास कोर्ट में पेश हुए. उनकी तरफ से कहा गया कि कोर्ट के आदेशों का पालन किया जा रहा है. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को अवगत कराया कि कुछ लोगों ने कूड़ा निस्तारण के लिए आवंटित भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है और गांव में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.
पढ़ें-दूसरे दिन भी शक्तिनहर किनारे अवैध कब्जों पर चला पीला पंजा, 350 मकानों को किया गया ध्वस्त

मामले के अनुसार अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज एवं उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी, परन्तु इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए गए थे. जिसमें उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओं को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे, उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे. अगर नहीं ले जाते है तो सम्बंधित नगर निगम, नगर पालिका व अन्य फंड देंगे, जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें. परन्तु उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है. पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए हैं और इसका निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details