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सूखाताल सौंदर्यीकरण मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई, वेटलैंड अथॉरिटी से मांगी 30 दिन में रिपोर्ट

Hearing in Sukhatal case in Uttarakhand HC उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सूखाताल के सौंदर्यीकरण मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने वेटलैंड अथॉरिटी से प्रदेश की वेटलैंड की रिपोर्ट एक महीने में पेश करने के लिए कहा है.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 25, 2023, 6:07 PM IST

नैनीतालःउत्तराखंड हाईकोर्ट ने सूखाताल में सौंदर्यीकरण के नाम पर हो रहे भारी भरकम निर्माण कार्यों पर रोक व अतिक्रमण हटाने को लेकर स्वयं संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने प्रदेश में वेटलैंड के बारे में अथॉरिटी से एक माह के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है. साथ ही झील के आसपास रहने वाले लोगों के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.

सुनवाई के दौरान वेटलैंड अथॉरिटी की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया कि उनके पास प्रदेश में वेटलैंड की रिपोर्ट आ चुकी है. जिला अधिकारी नैनीताल ने भी सूखाताल व एक अन्य झील को वेटलैंड घोषित करने के लिए अपनी रिपोर्ट स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी को भेज दी है. इसलिए रिपोर्ट पेश करने के लिए उन्हें समय दिया जाए. वहीं जनहित याचिका में सूखाताल झील के आसपास रहने वाले लोगों ने प्राथर्ना पत्र देकर कहा कि झील भरने से उनके घरों में पानी घुस गया है. इसलिए पानी की निकासी की जाए. लेकिन कोर्ट ने उनके प्राथर्ना पत्र को खारीज कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी.
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ये है पूरा मामलाःनैनीताल निवासी डॉ. जीपी शाह व अन्य ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बंद होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था. पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनीझील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किए जा रहे हैं.

गरीब परिवार जल स्त्रोत पर निर्भर: पत्र में यह भी कहा गया है कि झील में पहले से ही लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना लिए हैं. जिनको अभी तक नहीं हटाया गया है. पहले से ही झील के जल स्रोत सुख चुके हैं, जिसका असर नैनी झील पर दिख रहा है. कई गरीब परिवार ऐसे हैं जिनके पास पानी के कनेक्शन नहीं हैं. मस्जिद के पास के जल स्रोत से पानी लेते हैं. अगर वो भी सुख गए तो ये लोग पानी कहां से लेंगे. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए.

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