नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 500 से अधिक बेसिक हेल्थ वर्करों, सुपरवाइजरों एवं हेल्थ असिस्टेंट को पुनरीक्षित वेतनमान देने का आदेश जारी किया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने सरकार की अपील को निरस्त करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा पूर्व में पारित फैसले को सही ठहराया है.
मामले के अनुसार वेतन विसंगति को लेकर 1983 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई तो 11 मार्च 1988 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुनरीक्षित वेतनमान देने का आदेश दे दिया था. इस आदेश के बाद यूपी सरकार ने 1996 में एक्ट बनाकर 23 जुलाई 1981 से पुनरीक्षित वेतनमान का आदेश जारी कर दिया. हालांकि उत्तराखंड सरकार ने 16 जुलाई 2010 को शासनादेश जारी कर 23 जुलाई 1981 से 30 जून 2010 तक प्राकल्पिक आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान देने का आदेश दे दिया.
16 जुलाई के शासनादेश को हाईकोर्ट में चुनौती मिली और इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए याचिका में कहा कि यूपी सरकार में 1981 से दिया गया है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने वेतन विसंगति समिति को मामला भेजा और कहा कि याचिकाकर्ताओं के इस प्रकरण को देखें और निर्णय लें. इस मामले में कोई फैसला नहीं होने पर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई.