नैनीताल: उत्तराखंड में कोरोना से हालात बिगड़ते जा रहे हैं. सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों में बेड का भारी कमी है. इन हालात के बीच बुधवार को नैनीताल में कोरोना को लेकर सुनवाई हुई. कोरोना को बढ़ते खतरे को देखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वे गरीब तबके के लोगों के उपचार के लिए ई कार्ड जारी करे, ताकि प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटलों में उन्हें नि:शुल्क इलाज मिल सके.
बुधवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि अस्पताल में कोविड बेड नहीं हैं. इसके अलावा ऑक्सीजन की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है. रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी जमकर कालाबाजारी हो रही है. प्रदेश में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि शमशान घाट में कम पड़ गए हैं. अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट में लकड़ियां नहीं हैं. एंबुलेंस संचालक मरीजों और मृतकों को घर से हॉस्पिटल और श्मशान घाट ले जाने के लिए दो से तीन गुना ज्यादा पैसा मांग रहे हैं.
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कालाबाजारी का संज्ञान ले जिलाधिकारी
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि सभी अस्पतालों में बेड की स्थिति से कोर्ट को अवगत कराया जाए. ऑक्सीजन और दवाओं की जो कालाबाजारी हो रही है उसका जिलाधिकारी संज्ञान लें. ऐसे लोगों पर तत्काल कार्रवाई की जाए. जो एंबुलेंस संचालक ऐसे समय में भी लोगों को लूट रहे हैं उनकी एंबुलेंस जब्त की जाए.
श्मशान घाटों की संख्या बढ़ाने को कहा
कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों को आदेश दिए कि वे अपने यहां श्मशान घाटों की संख्या बढ़ाएं. शवों का अंतिम संस्कार करने लिए लकड़ी की व्यवस्था की जाए. ताकि किसी को परेशानी न हो. प्रदेश के सभी अस्पतालों को आदेश दिया है कि कोविड की वजह से जितने भी मरीजों की मौत हो रही है, उनका अंतिम संस्कार कोविड नियमों के तहत किया जाए. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट, 20 अप्रैल और आज हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेश की रिपोर्ट 7 मई तक हाईकोर्ट में पेश की जाए.