नैनीताल: देहरादून की रिस्पना और बिंदाल समेत सभी नदी-नालों व खालों पर हुए अतिक्रमण को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून को दो महीने के भीतर अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
बुधवार को अतिक्रमण के मामले में देहरादून डीएम ने शपथ पत्र के साथ अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसमें उन्होंने माना कि दून घाटी में करीब 270 एकड़ भूमि पर नदी के किनारे अतिक्रमण हुआ है. इसमें में से देहरादून शहर में ही 100 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण है.
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जिस पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने राज्य सरकार और डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि राजपुर क्षेत्र में तत्काल अतिक्रमण पर रोक लगाएं और 2 माह के भीतर घाटी में हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.
बता दें कि देहरादून निवासी पार्षद उर्मिला थापा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों ने रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे अतिक्रमण कर लिया है. साथ ही नदी में बने चाल-खाल पर भी अतिक्रमण कर दिया है. जिस वजह से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई.
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वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों ने नदी के आसपास लगे हजारों पेड़ काट दिए है. ऐसे देहरादून में भी केदारनाथ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. लिहाजा इन अतिक्रमणकरियों को हटाया जाए.