नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर जिलों में गठित 'वन स्टॉप सेंटर' में नियुक्त संविदा कर्मियों के स्थान पर आउटसोर्सिंग के जरिए कार्मिकों की नियुक्ति करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में हुई.
मामले के अनुसार, निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार की मदद से उत्तराखंड के जिलों में 'वन स्टॉप सेंटर' गठित हुए. जहां कार्मिकों की नियुक्ति संविदा के रूप में हुई. बाद में सरकार ने इस योजना का नाम मिशन शक्ति रखा और उसमें 'सबल' व 'सामर्थ्य' उप योजना, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान व नारी अदालत भी जोड़ी गई. किन्तु राज्य सरकार ने नई योजनाएं जोड़ने के बाद 29 नवंबर 2022 को एक आदेश जारी कर पूर्व से संविदा में काम कर रहे कार्मिकों की सेवा समाप्त कर उनके स्थान पर आउटसोर्सिंग के जरिए कार्मिक नियुक्त करने निर्देश दिए. राज्य सरकार के इस आदेश को शासित कांडपाल, विशाल घिल्डियाल, सरोजनी जोशी, माया नेगी रावत व अन्य ने अलग-अलग याचिकाओं के जरिये हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि वे इन पदों के योग्य हैं और उनके बदले आउटसोर्सिंग से नियुक्ति का निर्णय गलत है.
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