हल्द्वानी:उत्तराखंड के पहाड़ के गुणकारी अदरक की डिमांड कभी प्रदेश की सभी बड़ी मंडियों में हुआ करती थी. कुमाऊं के अदरक की पहचान कई राज्यों में हुआ करती थी. लेकिन बेंगलुरु के अदरक ने बाजारों में पहाड़ के गुणकारी अदरक के स्वाद को खराब कर दिया है. इस कारण पहाड़ के किसानों का अदरक मंडियों में बिक नहीं पा रहा है. ऐसे में पहाड़ के किसान अपने अदरक को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं. यहां तक कि पहाड़ के अदरक की क्वालिटी खराब हो जाने के कारण किसान अपने अदरक को फेंकने को भी मजबूर हैं.
पिछले कई दशकों से पहाड़ के अदरक की डिमांड कई राज्यों में हुआ करते थी. कुमाऊं मंडल के रोइशिला, कोटाबाग, विजयपुर, हेड़ाखान, मंगलिया गांव, नैनीताल, भीमताल सहित पहाड़ के कई गांवों के अदरक की पहचान कई राज्यों में हुआ करती थी. कुमाऊं की सबसे बड़ी हल्द्वानी फल, सब्जी मंडी से पूर्व में यहां हर साल करीब 5 हजार कुंटल से अधिक अदरक का कारोबार हुआ करता था. धीरे-धीरे अब पहाड़ के अदरक की डिमांड खत्म हो रही है. क्योंकि बाजारों में कई राज्यों के अदरक ने कब्जा कर लिया है.
बेंगलुरु का अदरक लोगों की पहली पसंद: बेंगलुरु समेत अन्य राज्यों का अदरक इन दिनों लोगों की पहली पसंद है. ऐसे में बेंगलुरु का अदरक मंडियों में आ जाने से पहाड़ के किसानों की कमर टूट गई है. बात पहाड़ के अदरक की कीमत की करें तो पहाड़ के अदरक की कीमत वर्तमान समय में मंडियो में ₹30 किलो है. वही बेंगलुरु का अदरक मंडी में ₹25 से ₹30 किलो पहुंच रहा है, जो साफ-सुथरा दिखने के कारण लोग ज्यादा खरीद रहे हैं.