हल्द्वानी: उत्तराखंड के किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सरकार और उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र लगातार प्रयास कर रहा है. इस कड़ी अब में उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र (Chironji cultivation in Uttarakhand) अब प्रदेश में ड्राई फ्रूट चिरौंजी के पौधे को तैयार कर रहा (Chironji plants in Haldwani Nursery) है. चिरौंजी की खेती मुख्य रूप से मध्य भारत के राज्यों में की जाती है. उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र की योजना प्रदेश के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता (Chironji cultivation in Uttarakhand) है.
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र मेहनत रंग लाई तो वो दिन दूर नहीं होगा, जब मध्य भारत के होने वाली चिरौंजी की खेती पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी की जाएगी. चिरौंजी की खेती से यहां के किसान अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं. फिलहाल पहले चरण में अनुसंधान केंद्र इस पौधे को उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र के लालकुआं नर्सरी में बड़े पैमाने पर तैयार किया है, जहां करीब 800 पेड़ को लगाया है.
800 से अधिक के पेड़ लगाए गए: वन अनुसंधान केंद्र चिरौंजी की खेती पर रिसर्च कर रहा है, जिससे कि उत्तराखंड के किसानों को चिरौंजी के पेड़ उपलब्ध कराकर उनके आर्थिक स्थिति को मजबूत करा सके. वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन जोशी ने बताया कि नर्सरी में पहली बार करीब 800 से अधिक के पेड़ लगाए गए हैं. जिसपर रिसर्च किया जा रहा है और अनुसंधान केंद्र में कई पेड़ फूल फल देने वाले हो चुके हैं.
शुष्क पर्वतीय जंगलों में होती है चिरौंजी: आमतौर पर चिरौंजी शुष्क पर्वतीय जंगलों में पाए जाने वाला वृक्ष है, इसकी औसतम ऊंचाई 15 से 20 मीटर तक पाई जाती है. भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न चिरौंजी के वृक्ष उत्तरी, पश्चिमी, मध्य भारत और दक्षिण भारत के मध्य प्रदेश, उड़ीसा, नागपुर, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में होता है, लेकिन उत्तराखंड में पहली बार इस पर रिसर्च किया जा रहा है.