हल्द्वानी:उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान केंद्र ने नैनीताल जिले के लालकुआं में देश का सबसे बड़ा 'सुगंधित उद्यान' (Aromatic Garden) विकसित किया है. यह उद्यान 3 एकड़ में फैला है, इसमें लगभग 140 विभिन्न सुगंधित पौधों की प्रजातियां हैं. यह देश का सबसे बड़ा 'Aromatic Garden' है.
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने कई विलुप्त प्रजातियों के पौधों को संरक्षित कर उनकी पहचान दिलाने का काम किया है. इसी के तहत वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं ने देश-विदेश से विलुप्त हो रही एरोमेटिक पौधों को संरक्षित करने का काम किया है. वन अनुसंधान केंद्र ने लालकुआं में देश का पहला एरोमेटिक गार्डन का शुभारंभ किया है, जिसका नाम (सुरभि वाटिका) रखा है. कई सुगंधित पौधों के साथ-साथ 24 तुलसी की प्रजाति के पौधे भी शामिल हैं, जो विलुप्त के कगार पर हैं.
140 विलुप्त पौधों को करेगा संरक्षितःगार्डन के स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य तुलसी अश्वगंधा पौधे के प्रजातियों को संरक्षित करना और इसके महत्व को लोगों को बताना है. इसके अलावा अनुसंधान केंद्र द्वारा लोगों तक एरोमेटिक पौधों को भी वितरित करने का काम किया जाएगा. उत्तराखडं के मुख्य वन संरक्षक और निदेशक अनुसंधान केंद्र संजीव चतुर्वेदी और वन टच एग्रीकॉन संस्था महाराष्ट्र बीना राव ने गार्डन का उद्घाटन करते हुए बताया कि अनुसंधान केंद्र ने देश का सबसे बड़ा एरोमेटिक गार्डन का स्थापना किया है, जो एक साथ 140 विलुप्त हो रहे सुगंधित पौधों की प्रजातियों को संरक्षित करने का काम करेगा.
पढ़ें- इन वादियों को नहीं देखा तो क्या देखा... देखें हसीन नजारे
गार्डन कई राज्यों के सुगंध प्रजातियों के पौधों को उनकी पहचान भी दिला रहा है. इसी के तहत अब तुलसी वाटिका के स्थापना की है, जिसके तहत अभी तक 24 प्रजातियों के देश-विदेश के तुलसी के पौधे लाकर यहां पर संरक्षित किया गया है. उन्होंने बताया कि अनुसंधान केंद्र का मुख्य उद्देश्य विलुप्त हो रही औषधीय और सुगंधित पौधों का संरक्षण करना है. जिसके तहत कई प्रदेशों के वनस्पतियों को लाकर संरक्षण करने का प्रयास किया गया है.
3 एकड़ में फैला है उद्यानः सुगंधित उद्यान में सुगंधित पौधों की लगभग 140 विभिन्न प्रजातियां हैं, जो इसे भारत का सबसे बड़ा सुगंधित उद्यान तैयार यह उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा लालकुआं में लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में स्थापित किया गया है. परियोजना की शुरुआत वित्तीय वर्ष 2018-19 में अनुमोदन के अनुसार की गई थी. विभिन्न सुगंधित प्रजातियों के संरक्षण, इन प्रजातियों के बारे में जागरूकता पैदा करने, इन प्रजातियों के बारे में और अधिक शोध को बढ़ावा देने और भविष्य में स्थानीय लोगों की आजीविका से जोड़ने के लिए, केंद्र की कैंपा योजना के तहत परियोजना को वित्त पोषित किया गया है.