हल्द्वानीः उत्तराखंड की बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना को केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है. जबकि, परियोजना को हरी झंडी मिलने के बाद भविष्य में पेयजल और सिंचाई का संकट दूर होगा. ऐसे में स्थानीय लोग भी इसका स्वागत कर रहे हैं. केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट की मानें तो दिसंबर महीने में जमरानी बांध परियोजना कार्य का टेंडर निकाल जाएगा और पीएम नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास अपने हाथों से कर सकते हैं.
पीएम मोदी कर सकते हैं शिलान्यासः दरअसल, साल 1975 से तराई भावर के लोग इस बांध के बनने का इंतजार कर रहे हैं. ताकि, हल्द्वानी की पेयजल की समस्या दूर हो और तराई में सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिले. लगातार धरना प्रदर्शन और मांग के बाद जमरानी बांध लंबे समय तक चुनावी मुद्दा भी रहा है. चुनाव में जमरानी बांध को सभी राजनीतिक दलों ने भुनाया, लेकिन अब केंद्रीय कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है. जिससे ये रास्ता साफ हो गया है कि अब बांध जल्द धरातल पर नजर आएगा.
हल्द्वानी पहुंचे केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री और नैनीताल उधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट ने ईटीवी भारत से कहा कि आगामी दिसंबर महीने में जमरानी बांध परियोजना कार्य का टेंडर निकाल लिया जाएगा. उम्मीद है कि जनवरी महीने में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस बहुप्रतीक्षित बांध परियोजना का शिलान्यास किया जा सकता है. आगामी 2028 तक इसे तैयार किया जाएगा. इस बांध परियोजना से जहां लोगों को पीने और सिंचाई के लिए पानी मिलेगा तो वहीं बिजली का उत्पादन भी होगा.
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सांसद अजय भट्ट ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन किया है कि वो इसका शिलान्यास अपने हाथों से करें तो देवभूमि की जनता उनका स्वागत करेगी. इसके साथ ही जनता में भी इस बांध के बनाए जाने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी दिखाए जाने के बाद खुशी का माहौल है. जगह-जगह लोग उनका स्वागत कर रहे हैं. अजय भट्ट ने कहा कि तराई भाबर के लिए इस योजना का बनाया जाना बेहद आवश्यक है. उनकी ओर से समय-समय पर सदन से लेकर विभिन्न स्तरों पर इस मसले को उठाया गया. जिसका नतीजा है कि आज इसका सुखद परिणाम सामने आया है.
जमरानी बांध परियोजना की लागत और फायदेःबता दें कि जमरानी बांध का निर्माण 2,584.10 करोड़ की लागत से होगा. जिसमें 1,557.18 करोड़ की सहायता केंद्र सरकार देगी. जिसे आगामी मार्च 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस परियोजना से 63.4 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा. जबकि, 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर पीने का पानी मिलेगा. इसके अलावा 57 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का पानी मिलेगा.