नैनीताल: देश के पहले कृषि विश्वविद्यालय के रूप में पहचान रखने वाले पंतनगर विश्वविद्यालय को सरकार द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाए जाने का प्रस्ताव पास किए जाने का यूकेडी (उत्तराखंड क्रांति दल) ने विरोध शुरू कर दिया है. पार्टी का कहना है पंतनगर को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाना ना तो प्रदेश की जनता के हित में है, और ना ही किसानों के लिए. यूकेडी ने चेताया कि अगर सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो उनकी पार्टी किसानों और युवाओं को लेकर सड़कों पर उतर कर उग्र आंदोलन करेगी.
यूकेडी के पूर्व विधायक नारायण सिंह जंतवाल ने कहा कि पंतनगर विश्वविद्यालय प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का भी गौरव रहा है. राधाकृष्णन शिक्षा मंत्री थे तो उन्होंने देश में कृषि विश्वविद्यालय बनाए जाने की संकल्पना की थी, जिस पर इंडो अमेरिकन टीम ने सर्वे कर पंतनगर क्षेत्र की भूमि का चयन किया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के प्रयासों से 1960 में पंतनगर में भूमि अनुदान विश्वविद्यालय की नींव रखी गई.
शुरुआती दौर में विश्वविद्यालय के पास करीब 16,000 एकड़ भूमि थी, जिसमें से भारी मात्रा में भूमि का आवंटन सिडकुल को कर दिया गया. अब विश्वविद्यालय के पास महज 12,500 एकड़ भूमि ही बची है. देश ही नहीं, बल्कि एशिया में शुमार पंतनगर विश्वविद्यालय होने से आज पहाड़ों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों के कृषकों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है.