हल्द्वानी:हिंदू परंपरा के अनुसार महिला और पुरुष के शव के अंतिम संस्कार को केवल पुरुष समाज ही कंधा देता है, लेकिन हल्द्वानी के गौलापार की रहने वाली दो महिलाओं ने समाज की इस परंपरा को दरकिनार करते हुए अपनी सास की अर्थी को कंधा देते हुए समाज को आईना दिखाया है.
बताया जा रहा कि दोनों बहुएं अपने सास से बहुत अधिक प्यार करती थीं और सास की अंतिम विदाई के दौरान उन्होंने अर्थी को कंधा देते हुए सास को विदा किया. ऐसे में बहुओं की इस मिसाल को पूरे क्षेत्र में सराहना की जा रही है.
हिंदू परंपरा को दरकिनार कर बहुओं ने सास की अर्थी को दिया कंधा. हल्द्वानी के गौलापार की रहने वाली 84 साल की बुजुर्ग बसंती देवी रौतेला का रविवार को निधन हो गया. सोमवार को बसंती देवी के अंतिम संस्कार के लिए उनकी अर्थी जब उनके घर से निकली तो दोनों बहुओं ने कंधा लगाकर अपनी सास को अंतिम विदाई दी. वहीं बसंती देवी के पति का पहले ही निधन हो चुका था, लिहाजा वो अपने बहू-बच्चों के साथ ही रहती थीं. बसंती देवी के दोनों बहू रीता और मोनिका का कहना था कि उन्होंने अपने सास को मां से ज्यादा प्यार किया है और उन्होंने भी बहुओं को बेटी की तरह पाला-पोसा है, इसलिए उनसे कुछ ज्यादा ही लगाव था. ऐसे में उनको अंतिम विदाई के समय अर्थी में कंधा देकर उन्होंने अपना फर्ज निभाया है.
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वहीं सास के अंतिम संस्कार के दौरान अर्थी में कंधा लगाकर अंतिम विदाई देना हल्द्वानी सहित पूरे आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. वहीं कुछ लोग इसकी सराहना कर रहे हैं तो कुछ रूढ़िवादी समाज के लोग इस परंपरा को गलत बता रहे हैं.