रामनगरःबांसी टीला गांव के खेतों में छिपी बाघिन का वन विभाग ने रेस्क्यू तो कर लिया, लेकिन बाघिन की संदिग्ध परिस्थितियों में अचानक मौत हो गई. बाघिन के मौत के बाद वन विभाग में खामोशी छाई हुई है. वहीं, कॉर्बेट प्रशासन मामले पर बचता नजर आ रहा है. ऐसे में बाघिन के रेस्क्यू पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
बता दें कि बीते चार दिनों से बांसी टीला गांव के खेतों में एक बाघिन को देखा जा रहा था. ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग पहले भी इस बाघिन को खेत से जंगल की ओर भगाने में कामयाब रहा, लेकिन बाघिन ने यहीं पर ही डेरा डाला हुआ था, जिसे लेकर रेस्क्यू अभियान चलाया. रविवार को रेस्क्यू के दौरान वन कर्मियों की टीम पर बाघिन ने हमला करने का प्रयास किया था. जिसके कारण रेस्क्यू अभियान बीच में ही छोड़ना पड़ा था.
इसी क्रम में सोमवार को बाघिन को पकड़ने के लिए फिर से रेस्क्यू किया गया. वन विभाग की टीम को कामयाबी भी मिल गई. जब तक खेत में छिपी बाघिन का रेस्क्यू किया गया, तब तक बाघिन जिंदा थी. रेस्क्यू करने के बाद बाघिन को ढेला रेस्क्यू सेंटर ले जाते समय ही रास्ते में उसकी संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई.
ऐसे में वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठना भी लाजिमी है कि रेस्क्यू के दौरान ऐसा क्या हुआ जो, बाघिन ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या रेस्क्यू के दौरान बाघिन को डंडा उसकी कमर पर इतना तेज पड़ा कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई या फिर उसमें लाठी-डंडों से इतनी शक्ति से दबाया गया कि उसे गहरी चोट पहुंची.