रामनगर: सांप छोटा हो या बड़ा उसके फन उठाते ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. उसके फुहारने मात्र से ही कलेजा कांपने लगता है. लेकिन सांप पारिस्थिति तंत्र को बनाने रखता जो काफी अहम है. जहां लोग चाहे- अनजाने में सांप को मार देते हैं वहीं रामनगर का कश्यप परिवार इन्हें बचाने के लिए पूरी शिद्दत से लगा हुआ है.
40 सालों से सांपों का रेस्क्यू कर रहा कश्यप परिवार. नागों का पौराणिक कथाओं में भी वर्णन मिलता है. देवभूमि में नाग देवताओं के कई धाम हैं, जो लोगों की अटूट आस्था के केन्द्र हैं. रामनगर का कश्यप परिवार सांपों को देवी देवताओं का रूप मानकर उनके संरक्षण के लिये पिछले लगभग 40 सालों से लगा हुआ है. साथ ही लोगों को सांपों को न मारने के लिए जागरुक भी करता है. वहीं कश्यप परिवार लोगों को सांप के काटने से भी बचा रहा है.
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सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप जब स्कूल में पढ़ते थे, उनके माता-पिता से सांपों के प्रति मिले भक्ति ज्ञान से उनके दिलो-दिमाग पर ऐसी छाप छोड़ी कि वो उनके संरक्षण में लग गए. क्षेत्र के जिन घरों में सांप घुस जाया करते हैं पता चलने पर वे स्वयं ही वहां पहुंच कर सांप को पकड़ते हैं.
सांप को पकड़ने के बाद वे अपने घर ले आते हैं और सांपों की सेवा करने के बाद उन्हें जंगल छोड़ आते हैं. यह सिलसिला वर्षों से जारी है. उम्र के साथ-साथ उनका तजुर्बा भी बढ़ गया है.
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार. रामनगर की अधिकांश लोगों को चंद्रसेन का मोबाइल नंबर पता है. जब भी किसी के घर में सांप घुस जाता है, तुरंत चंदसेन को बुलाया जाता है. जिसके बाद मौके पर पहुंचकर वे सांप का रेस्क्यू करते हैं, फिर उसे जंगल में छोड़ आते हैं. इस कार्य में रामनगर वन विभाग, कॉर्बेट प्रशासन और तराई पश्चिमी वन प्रभाग भी इनकी मदद लेता है.
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार. सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी यह जानकारी करने के लिए इन्हें बुलाते हैं कि मरीज को कितने जहरीले सांप ने काटा है. चंद्रसेन स्वयं भी सांप के काटे का इलाज करते हैं. वह अबतक कई लोगों की जान बचा चुके हैं.
उनके परिवार के सदस्यों को सांपों के साथ खेलने और उनके साथ रहने की आदत सी पड़ चुकी है. उनके तीनों बेटे सांप पकड़ने में अपने पिता की तरह माहिर हैं. हालांकि, कई बार चंद्रसेन और उनके पुत्र को सांप का रेस्क्यू करने में सांप ने काटा है परंतु इन्हें सर्पदंश के उपचार की जानकारी होने के चलते उनका जहर बेसर हो जाता है.
40 सालों से सांपों में रेस्क्यू में लगा कश्यप परिवार. विरासत में मिले निस्वार्थ सेवाभाव और हुनर में उनके बच्चे भी निपुण हो चुके हैं. अपने पिता के सांपों के प्रति प्रेम भाव को देखते वे भी उनकी राह पर निकल पड़े हैं. साथ ही लोगों को जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहे हैं.