देहरादून/हल्द्वानी: नैनीताल हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद हल्द्वानी वनभूलपुरा रेलवे भूमि प्रकरण सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जिसके बाद यहां के लोगों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद भी जगी है. अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट सुनेगा. जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में पांच जनवरी को मामले की सुनवाई होगी. सोमवार को रेलवे की तरफ से अतिक्रमण हटाने के लिए की जा रही कार्रवाई के खिलाफ स्थानीय कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश की याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को मामला सुने जाने की तारीख दी है.
पिलर बंदी के दौरान हुआ था प्रदर्शन: बता दें कि 28 दिसंबर को प्रशासन और रेलवे ने अतिक्रमण हटाने के अभियान से पहले पिलर बंदी की. जिसके बाद हजारों महिला, बच्चे और बुजुर्ग विरोध में सड़कों पर उतर आए थे. पीड़ितों ने सरकार से कार्रवाई को रोककर हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग की थी. वहीं प्रदर्शनकारियों ने सरकार को याद दिलाया कि 2016 में सरकार ने इस भूमि को नजूल की माना था. उनका कहना है कि 6 साल पहले जो जमीन राज्य सरकार के नियंत्रण में थी, वह अचानक रेलवे की कैसे हो गई.
बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वनभूलपुरा गफूर बस्ती में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्तीकरण करने के आदेश दिए थे. इस जगह पर करीब 78 एकड़ भूमि पर 4365 अतिक्रमणकारी हैं. वहीं, अतिक्रमणकारियों से भूमि खाली कराने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. रेलवे प्रशासन और जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने के लिए तैयारियों को अंतिम रूप से चुका है.
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इसी क्रम में एडीआरएम रेलवे विवेक गुप्ता, हल्द्वानी एसडीएम मनीष कुमार सहित रेलवे और सिविल पुलिस ने अतिक्रमण क्षेत्र का निरीक्षण करते हुए कहा कि अतिक्रमण हटाने की तैयारियों का जायजा लिया. बता दें कि जिला प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों से अपील की है कि एक सप्ताह के भीतर में अपने अतिक्रमण को खुद हटा लें, वर्ना उनसे अतिक्रमण हटाने का खर्चा भी वसूला जाएगा.
उन्होंने कहा कि किसी तरह की कानून व्यवस्था खराब ना हो और रेलवे संपत्ति को नुकसान ना हो, इसके लिए भी प्वॉइंट चिन्हित गए किए गए हैं. अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है. ऐसे में अब पीएसी और आईआरबी की 8 कंपनियों के अलावा सीपीएमएफ पुरुष की 6 कंपनी, सीपीएमएफ महिला की तीन कंपनी, आरपीएफ पुरुष की 6 कंपनियां, आरपीएफ महिला की 4 कंपनियां हल्द्वानी में डेरा डाल लेंगी. 10 जनवरी से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी.