हल्द्वानी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग चोरगलिया के नंधौर वन्यजीव अभयारण्य को इको सेंसेटिव जोन बनाने में जुट गया है. जिसके बाद वहां पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. ऐसे में इको सेंसेटिव जोन के दायरे में किसी भी तरह के निर्माण और स्टोन क्रेशर कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इको सेंसेटिव जोन बनाए जाने को लेकर लोगों से राय मांगी गई है. जिसके लिए 60 दिन का समय दिया गया है.
जल्द नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य बनेगा इको सेंसेटिव जोन. मुख्य वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त पराग मधुकर धकाते ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोटिफिकेशन का ड्राफ्ट पर्यावरण और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जारी किया है. इको सेंसेटिव जोन बनाए जाने से पहले ग्रामीणों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसे लकेर भी आदेश दिए गए हैं. इको सेंसेटिव जोन 540 वर्ग किलोमीटर दायरे में होगा.
जिसमें हल्द्वानी वन प्रभाग का करीब 270 वर्ग किलोमीटर हिस्सा, जबकि चंपावत वन प्रभाग का 100 वर्ग किलोमीटर है. तराई पूर्वी वन प्रभाग का 167 किलोमीटर, राजस्व क्षेत्र के दो गांव जबकि पंचायत क्षेत्र के पॉइंट 15 वर्ग किलोमीटर के हिस्से में रहा है. वहीं, 540 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में खनन पट्टे स्टोन क्रेशर और ग्रामीणों के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है.
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पराग मधुकर धकाते ने बताया कि नंधौर इको सेंसेटिव जोन इस तरह से बनाया जा रहा है कि किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान न हो. इसके बनने से स्थानीय लोगों को काफी लाभ मिलेगा. साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा. गौरतलब है कि उत्तराखंड में 13 इको सेंसेटिव जोन है. मगर नोटिफिकेशन केवल नंधौर इको सेंसेटिव जोन को ही मिला है. उन्होंने बताया कि अभयारण्य केंद्र में करीब 40 टाइगर है जबकि 60 से अधिक लेपर्ड के अलावा हाथी सहित कई जानवर मौजूद हैं.