हल्द्वानी:उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा हृदयेश का रविवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. इंदिरा हृदयेश के छोटे बेटे सुमित हृदयेश को मलाल है कि उनकी मां जीवित रहते हुए उत्तराखंड की सीएम नहीं बन पाईं और उनको राज्य की जनता का सेवा करने का मौका नहीं मिल पाया.
सुमित हृदयेश ने कहा कि मां की अंतिम इच्छा थी कि वह उत्तराखंड की मुख्यमंत्री बनें और जनता की सेवा कर सकें.
इंदिरा की इच्छा रही अधूरी सुमित हृदयेश को मलाल है कि अब मां इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उनके सपनों को वह पूरा करेंगे और उनके जो भी विकास कार्य थे, उनको आगे बढ़ाने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि इंदिरा हृदयेश के विकास कार्यों को हल्द्वानी की जनता के साथ-साथ राज्य की जनता कभी नहीं भूल सकती है. उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों की लोग सराहना करते हैं. ऐसे में जो भी इंदिरा हृदयेश के अधूरे कार्य थे उनको वह पूरा करने का काम करेंगे.
सुमित हृदयेश ने आगे कहा कि मां का स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक था, लेकिन ईश्वर को मंजूर नहीं था और होनी को कोई टाल नहीं सकता है.
बता दें कि, इंदिरा हृदयेश की चिता को सुमित हृदयेश मुखाग्नि देंगे. इंदिरा हृदयेश के पार्थिव शरीर को हल्द्वानी लाया गया है. सोमवार सुबह 11 बजे हल्द्वानी के स्वराज आश्रम में स्व. हृदयेश के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा और 12 बजे रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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सीएम बनने की इच्छा रही अधूरी
इंदिरा हृदयेश का सपना था कि वह एक बार मुख्यमंत्री जरूर बनें. हालांकि, इसके लिए इंदिरा हृदयेश ने कई बार हाथ पैर मारे. उनको सीएम की कुर्सी नसीब नहीं हो पायी. कांग्रेस पार्टी के लिए पूरा राजनीतिक जीवन समर्पित करने वाली डॉ. हृदयेश के मुख्यमंत्री न बन पाने का मलाल हमेशा से उनकी बातों और चेहरे पर साफ झलकता रहा.
हरीश रावत से इसी बात का था विवाद
हरीश रावत लगातार उत्तराखंड कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा करने की मांग कर रहे थे. इंदिरा हृदयेश के मन में भी सीएम बनने का सपना था. इस कारण हरीश रावत से उनकी प्रतिद्वंदिता थी. यदा-कदा वो हरीश रावत की इस मांग पर तंज भी कसा करती थी. दिल्ली की बैठक से एक दिन पहले उन्होंने हरीश रावत पर फिर तंज कसा था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस किसी एक नेता को आगे करके चुनाव नहीं लड़ेगी.