उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

महिला दिवस: दिव्यांग होने के बावजूद खोला स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र, महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर - दिव्यांग सुमनलता

हल्द्वानी के डहरिया में दिव्यांग महिला सुमनलता ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र खोला है.

woemns day
दिव्यांग होने के बावजूद खोला स्वरोजगार प्रशिक्षण

By

Published : Mar 8, 2020, 7:22 AM IST

Updated : Mar 8, 2020, 11:29 AM IST

हल्द्वानी: मन में इच्छा शक्ति और हौसले बुलंद हो तो एक फैसला अपनी ही नहीं, दूसरों की जिंदगी बदल सकता है. जी हां, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है हल्द्वानी के डहरिया की रहने वाली दिव्यांग महिला सुमनलता ने, दिव्यांग होने के बावजूद खुद स्वरोजगार अपनाते हुए दूसरों को स्वरोजगार से जोड़कर मिसाल कायम कर रही हैं. देखिए महिला दिवस पर ये खास रिपोर्ट...

दिव्यांग होने के बावजूद खोला स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र

हल्द्वानी के डहरिया की रहने वाली सुमनलता खुद दिव्यांग होकर कई बेसहारा महिलाओं को सिलाई कढ़ाई सहित कई रोजगारपरक ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं. बड़ी संख्या में महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उनकी मदद कर चुकी सुमनलता करीब 10 साल से निरंतर बिना किसी सरकारी मदद से समाज सेवा करती आ रही हैं. मुख्यमंत्री से लेकर अन्य बड़े जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के बावजूद भी कोई सहायता नहीं उपलब्ध हो पा रही है. लिहाजा, सुमनलता ने उन महिलाओं के लिए कुछ करने की ठान ली जो बेसहारा थी.

ये भी पढ़ें:अबीर गुलाल के त्योहार की तैयारियां शुरू, रंगों से सजे बाजार

विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं हारी हिम्मत

सुमनलता कश्यप बचपन से ही 70 फीसदी विकलांगता से ग्रसित हैं, लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की. सुमनलता ने बताया कि बचपन से ही उनके मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा था. लेकिन, दिव्यांग बेटी के रूप में मां बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती थी इसलिए उन्होंने आत्मनिर्भर बनने की ठान ली. एक दिन सिलाई कढ़ाई के लगाए गए कैंप में जाकर उन्होंने प्रशिक्षण लिया. जहां से उन्होंने अपने नई जिंदगी की शुरुआत की और एक पुरानी सिलाई मशीन खरीद कर सिलाई कढ़ाई का काम शुरू कर दिया.

गरीब परिवार में बोझ समझे जाने वाली दिव्यांग बेटी घर का खर्चा चलाने लगी, जिसके बाद सुमनलता पीछे मुड़कर नहीं देखा. दिव्यांग होने के बावजूद भी दूसरे के लिए मिसाल बनी हुई है. सैकड़ों महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ चुकी हैं.

ये भी पढ़ें:अभद्र टिप्पणी के खिलाफ भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं में रोष, दीपक जोशी का फूंका पुतला

बचपन में पैरालाइज की हुई शिकार

सुमनलता की मां प्रेमवती ने बताया कि सुमनलता जब 2 साल की थी, तब उन्हें तेज बुखार के दौरान डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगाया और वह पैरालाइज बीमारी का शिकार हो गई. आज दिव्यांग होने के बावजूद सुमन की इस काबिलियत पर उनके माता-पिता को गर्व है. वो चाहते हैं कि सुमन अपनी जिंदगी में बड़ी ऊंचाइयों को छुए.

सैकड़ों महिलाओं के प्रेरणा स्रोत बनी हुई सुमनलता एक संस्था के सहयोग से अपना स्वरोजगार प्रशिक्षण खोला है. महिलाओं को सिलाई, बुनाई, कढ़ाई का प्रशिक्षण दे रही हैं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं. सुमनलता ने अभी तक 500 से अधिक महिलाओं को सिलाई-बुनाई, कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर बना चुकी है.

उन्होंने बताया कि उन्होंने शिक्षा में ग्रेजुएशन किया है. ऐसे में बच्चों को शिक्षा देना उनका दायित्व बनता है. सिलाई कढ़ाई से समय निकालने के बाद करीब 50 बच्चों को किताबी शिक्षा भी देती हैं. सुमनलता ने बताया कि दिव्यांग होने के बावजूद आज तक उन्होंने किसी के आगे के कोई भी सहायता लिए हाथ नहीं फैलाया. विश्व महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत सुमनलता के जज्बे और हौसले को सलाम करता है. उम्मीद है कि सुमनलता इसी तरह से महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगी और स्वावलंबी बन अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगी.

Last Updated : Mar 8, 2020, 11:29 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details