कालाढूंगी:मॉनसून के दौरान उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और नदी नाले उफान पर होने से लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है. हालात ये हैं कि जगह-जगह भूस्खलन और नदी नाले उफान पर हैं. वहीं लोग नदी में उफान के चलते लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं. गांव में पुल न होने के कारण लोगों को हर साल मॉनसून सीजन में ऐसी ही परेशानियों से रूबरू होना पड़ता है.
कुछ ऐसे ही तस्वीर कालाढूंगी से 10 किलोमीटर की दूरी पर बसा धापला गांव (Kaladhungi Dhapla Village) से सामने आई है, जहां ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उफनते नाले को पार करते दिखाई दे रहे हैं. बारिश के मौसम में थोड़ी सी लापरवाही लोगों पर भारी पड़ सकती है. वहीं बरसात के सीजन में गाड़-गदेरा रौद्र रूप धारण कर लेते हैं. वहीं भारी बारिश से धापला गांव के समीप बहने वाली निहाल नदी (Kaladhungi Nihal River) इनदिनों उफान पर है. जिससे ग्रामीणों का संपर्क शहर से कट गया है. लेकिन विवशता देखिए इन परिस्थितियों में भी छात्र-छात्राएं और शिक्षक जान हथेली पर रखकर नदी पार कर रहे हैं. जहां जरा सी लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है.
पढ़ें- टिहरी: एक पुलिया के लिए सालों से तरस रहे ग्रामीण, जान हथेली पर रखकर करते हैं गदेरा पारराजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धापला के शिक्षक राजेश रावत ने बताया कि बरसात के दिनों में स्थिति काफी भयावह हो जाती है. उफनती निहाल नदी को पार करने में छात्र-छात्राओं को ग्रामीणों द्वारा मदद ली जाती है तभी वो विद्यालय तक पहुंच पाते हैं. गौर हो कि उत्तराखंड में बरसात में नदी-नाले उफान पर आ जाते हैं, जिनका जलस्तर बारिश होते ही बढ़ने लगता है. उत्तराखंड में कमोवेश ऐसे ही तस्वीर हर बरसात में देखने को मिल जाती है. कुछ ऐसे ही तस्वीरें धापला गांव से सामने आई है, जहां छात्र-छात्राें और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उफनते नदी को पार करते दिखाई दे रहे हैं. गांव में पुल न होने के कारण लोगों को हर साल मॉनसून सीजन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जबकि ग्रामीण लंबे समय से पुल की मांग कर रहे हैं. लेकिन विडंबना ये है कि इस ओर शासन-प्रशासन की नजर नहीं जा रही है?