हल्द्वानी: देवभूमि उत्तराखंड को वीर सपूतों की भूमि ऐसे ही नहीं कहा जाता है. इस पावन माटी में कई ऐसे जांबाजों ने जन्म लिया है, जिन्होंने देश रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर दिए. यहां वीरता और शौर्य की कहानी गांव-गांव में देखने को मिल सकती है. कारगिल युद्ध में भी देवभूमि के वीर जवानों ने अहम भूमिका निभाई थी. कारगिल युद्ध देवभूमि के जांबाज जवानों के किस्सों से भरा पड़ा है. कारगिल युद्ध में उत्तराखंड में 75 जवान शहीद हुए थे. उन्हीं वीरों में से एक थे सूबेदार गोविंद सिंह पपोला, जो कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे.
आज से 21 साल पहले (साल 1999) कारगिल युद्ध में उत्तराखंड की कुमाऊं और गढ़वाल रेजीमेंट के पाकिस्तानी घुसपैठयों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. कुमाऊं और गढ़वाल रेजीमेंट जवान ने बड़ी बहादुरी से न सिर्फ पाकिस्तानी घुसपैठियों का सामना किया किया था, बल्कि उन्हें देश की सीमा से बाहर भी किया था.
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कारगिल युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट 12 और गढ़वाल रेजीमेंट के 54 जवानों ने अपनी शहादत दी थी. बात नैनीताल जिले की करें तो यहां के पांच जवान कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे. इसी में एक थे हल्द्वानी के सूबेदार गोविंद सिंह पपोला. सूबेदार पपोला पाकिस्तानी आतंकियों से लोहा लेते हुए कारगिल में शहीद हो गए थे.