नैनीताल: कारगिल, वे जंग जिसने देश के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी और इस नापाक हिमाकत के लिए देश के दुश्मनों की रूह कंपा दी थी. यूं तो कारगिल की जंग में मातृभूमि की रक्षा में कई वीर योद्धाओं ने अपनी शहादत दी थी. जिनकी कुर्बानी को देश कभी नहीं भूल सकता. साल 1999 के इस युद्ध में देवभूमि के 75 जवान शहीद हुए थे. इनमें से एक शहीद मेजर राजेश अधिकारी हैं. युद्ध के दौरान दुश्मनों पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश अधिकारी को कमान सौंपी गई थी.
मेजर राजेश अधिकारी का जन्म नैनीताल जिले के तल्लीताल के हरिनगर क्षेत्र में हुआ था. मेजर का बचपन भी नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र में ही स्कूलिंग और ग्रेजुएशन तक की शिक्षा दीक्षा भी नैनीताल के स्कूल और कॉलेज से पूरी हुई. राजेश अधिकारी बचपन से ही काफी प्रतिभावान थे. एनसीसी और स्पोर्ट्स में भी उनकी विशेष रुचि थी.
कारगिल की जंग के दौरान सबसे बड़ी चुनौती थे टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी, जो लगातार बमबारी कर रहे थे. दूसरी ओर से गोलियां चला रहे थे. चोटी पर चढ़कर दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद करना ही, भारतीय सेना का लक्ष्य था. इसके लिए भारतीय सेना ने सबसे पहले तोलो लिंग से घुसपैठियों का कब्जा हटाने की योजना बनाई गई. दुश्मन 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बैठा गोलियां बरसा रहा था. जिस पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई.
मेजर राजेश अधिकारी ने अपने यूनिट के साथ चढ़ाई की और पाकिस्तानी घुसपैठियों के बंकर को रॉकेट लॉन्चर से उलझाये रखा. जैसे ही अधिकारी को मौका, उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के बंकर को तबाह कर दिया और पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया.