हल्द्वानी:देश को आजाद हुए सात दशक से ज्यादा हो गए हैं. 21वीं सदी में हर कोई डिजिटल इंडिया से लेकर चांद पर घर बनाने की बात कर रहा है, लेकिन हल्द्वानी का एक ऐसा गांव भी है जो मूलभूत सुविधाओं से अबतक वंचित है. सुविधाओं का यहां ऐसा टोटा है कि यहां के बेटे-बेटियों की शादी तक नहीं हो पा रही है.
दरअसल, नैनीताल के हल्द्वानी से 30 किलोमीटर दूर बसा श्रीलंका टापू में 40 से ज्यादा परिवार रहते हैं. ये गांव 1980 से अबतक गौला नदी के बीचोंबीच है. हर साल बरसात के 3 महीनों में यह गांव पूरी तरह से नदी से घिर जाता है और जिला प्रशासन सहित अन्य गांवों से इसका संपर्क टूट जाता है. यही कारण है कि इस गांव के बेटे-बेटियों की शादी होने में काफी परेशानियां होती हैं. कोई भी अन्य गांव इस जगह में रहने वाले गांववासियों से रिश्ता नहीं जोड़ना चाहता है.
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क्यों कहा जाता है गांव को श्रीलंका टापू
हल्द्वानी गौला नदी के चारों ओर से घिरे इस गांव का नाम श्रीलंका टापू इसलिए पड़ा, क्योंकि 1980 में जब कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी ने विकराल रूप लिया तो बिंदुखत्ता गांव को अपने बहाव में लेते हुए इसके एक एक टुकड़े को अलग कर दिया. इसको चारों ओर से नदी ने घेर लिया, जिसके बाद इसका नाम श्रीलंका टापू रख दिया गया.
वोट बटोरने तक सीमित हैं नेता
पहाड़ से मैदान तक के कई परिवार इस गांव में रहते हैं. यहां के बाशिंदे नेताओं की वादाखिलाफी काफी नाराज हैं. स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूल सुविधा का वादा तो उत्तराखंड के राजनेताओं ने कई बार किया, लेकिन हर कोई सिर्फ कोरे वादे कर वोट बटोरने तक ही सीमित रहा. चुनाव के बाद कोई भी यहां मुड़कर नहीं देखता. ग्रामीणों का कहना है कि सबसे ज्यादा समस्या बरसात के दौरान होती है जब 3 महीने तक उनके गांव का संपर्क जिला प्रशासन से टूट जाता है. ऐसे में कोई बीमार पड़ता है तो उसे चारपाई पर लादकर नदी के सहारे लालकुआं लेकर जाना पड़ता है. बच्चों को पढ़ाई करने के लिए नदी पार कर कई मीटर दूर जाना पड़ता है.
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वहीं, ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या उनके सामने रिश्तों को लेकर है. गांव में न तो सड़क है, न बिजली और न अन्य मूलभूत सुविधाएं ऐसे में यहां कोई रिश्ता जोड़ने और शादी करने को तैयार नहीं है. उन्होंने बताया कि गांव के अधिकतर लड़के और लड़कियां उम्र दराज हो रहे हैं. भारतीय संविधान में हर नागरिक को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है. श्रीलंका टापू के लोग जंगलों और नदी से घिरे इस क्षेत्र में दहशत में रहते हैं. जंगली जानवारों के अलावा नदी का बहाव लोगों को हर दिन डराता है.