नैनीताल: उत्तराखंड का कुमाऊं क्षेत्र सरोवर नगरी के लिए देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है. जहां कलकल बहता नदियों का पानी और शांत सरोवर लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं. वहीं हर साल देश-विदेश के सैलानी प्रकृति के इस नेमत का दीदार करने खिंचे चले आते हैं और यहां की खूबसूरत यादों को अपने साथ ले जाते हैं.
जी हां, हम बात कर रहे हैं सरोवर नगरी के नाम से विख्यात नैनीताल के नौकुचियाताल की. जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. जिनके राज आज भी स्थानीय लोगों की जुबानी सुने जा सकते हैं. नौकुचियाताल के पीछे एक कहानी छिपी है. इस ताल में 9 कोने होने के कारण इसे नौकुचियाताल कहा जाता है. यहां साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है, जो स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देता है. वहीं नौकुचियाताल का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. पद्म (पदम) पुराण के अनुसार, इस झील के 9 कोनों पर द्वापर युग में ऋषि मुनि स्नान किया करते थे. इस जगहों पर ऋषि मुनियों ने ऐसी व्यवस्था की, जिससे लोग उन्हे स्नान करते हुए देख न सकें और न ही ये कोने एक साथ दिखाई दें. साथ ही इस क्षेत्र को ऋषि-मुनियों ने अपनी तपोस्थली बनाई.