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कुमाऊं में घुघुतिया त्योहार का है विशेष महत्व, पहले कौवे को खिलाया फिर खुद खाया जाता है घूंघत - kumaun famous festival ghughutiya

कुमाऊं में सुप्रसिद्ध घुघुतिया त्योहार का विशेष महत्व है. इसमें बच्चे और बूढ़े सभी वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं. ऐसी मान्यता है कि घूंघत को पहले कौवे को खिलाया जाता है. फिर एक-दूसरे को बांटकर प्रसाद रुप में बांटा जाता है.

घुघुतिया त्यौहार
घुघुतिया त्यौहार

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Published : Jan 14, 2020, 6:06 PM IST

Updated : Jan 14, 2020, 9:05 PM IST

हल्द्वानीःउत्तराखंड का लोक पर्व घुघुतिया बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति और उत्तरायणी के इस पावन पर्व पर लोग घरों में घुघुतिया बनाकर इस त्योहार की तैयारियों में जुटे हैं. पूरे कुमाऊं मंडल में इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. त्योहार से एक दिन पहले महिलाएं, बच्चे, बड़े-बुजुर्ग घरों में घूमते बनाते हैं. घूमते बनाने के लिए आटा, तेल, सूजी, दूध, घी और गुड़ के पानी से आटा बनाकर उसके घूंघते बनाए जाते हैं.

घुघुतिया त्योहार

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यही नहीं बच्चों की उत्सुकता के लिए ढोल, तलवार, ढाल और चकरी सहित अन्य आकार के घूंघते भी बनाए जाते हैं. जिसे बच्चों द्वारा पहले कौवा को खिलाया जाता है. इसके बाद प्रसाद स्वरूप इसे ग्रहण किया जाता है. घूंघते को अपने नाते-रिश्तेदार, सगे-संबंधियों और आस-पड़ोस के लोगों को बांटा जाता है और त्योहार की खुशियां साझा की जाती है.

Last Updated : Jan 14, 2020, 9:05 PM IST

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