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National Handloom Day: रामनगर की महिलाएं हो रहीं सशक्त, इन धामों की बना रहीं रेप्लिका

आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस है. देश के साथ ही पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में भी आज भी कई परिवार ऐसे हैं, जिनकी जीविका छोटे छोटे हथकरघा उद्योग के माध्यम से चल रही है. आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के मौके पर ईटीवी भारत अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से आपको उत्तराखंड में हथकरघा उद्योग की स्थिति से रूबरू करवाएगा.

National Handloom Day
हथकरघा दिवस

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Published : Aug 7, 2022, 11:10 AM IST

Updated : Aug 7, 2022, 1:50 PM IST

रामनगर:हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) मनाया जाता है. जिसमें हाथ से कारीगरी करने वाले लोगों को याद करने के साथ ही उन्हें सम्मान भी किया जाता है. हथकरघा दिवस की शुरुआत 7 अगस्त 2015 में हुई थी. हथकरघा दिवस इसलिए भी बनाया जाता है, ताकि हाथ के कारीगरों को सम्मान एवं प्रोत्साहन मिल सके.

इस साल देश 8वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहा है. हथकरघा पूरे देश के ग्रामीण अंचलों के लोगों को आजीविका प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. एक आंकड़े के मुताबिक हथकरघा के क्षेत्र में 70 फीसदी से अधिक महिलाएं हैं, जो सशक्तिकरण के रूप में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं. हथकरघा स्वदेशी रोजगार को भी बढ़ावा देता है. उत्तराखंड में भी कई महिलाएं समूह के रूप में अलग-अलग क्षेत्रों में हाथ की कारीगरी करके खुद आजीविका से जुड़ रही हैं और लोगों के लिए भी आजीविका प्रदान करने का साधन बन रही है.

रामनगर की महिलाएं हो रही सशक्त.

महिलाएं रक्षाबंधन के लिए तैयार कर रहीं राखी:रामनगर में मैं छुं पहाड़ी समूह की महिलाएं हाथ की कारीगरी व संस्कृति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रही हैं. यहां दर्जनों महिलाएं मैं छू पहाड़ी समूह से जुड़कर राखियां बना रही हैं. यह राखियों के जरिए उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को भी बढ़ावा दे रही है. इन राखियों को ऊन, नग और ऐपण से बनाया जा रहा है. इसके साथ ही महिलाएं करवा चौथ के लिए भी करवा और छन्नी को ऐपण से बनाकर बाजारों में ला रही हैं.

एमडी फाइबर बोर्ड से बने मंदिर.

रामनगर में महिलाओं को सशक्तिकरण व आत्मनिर्भर बनाने के लिए ब्लॉक कार्यालय में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सोवेनियर ग्रोथ सेंटर स्थापित किया गया है. सॉवेनियर ग्रोथ सेंटर में नवज्योति ग्राम संगठन पुछड़ी समूह की महिलाएं न्यूजीलैंड और रशिया से आने वाले एमडीएफ फाइबर बोर्ड से बाबा केदारनाथ का मंदिर बना रही हैं. इसके अलावा राखी की रिंग, नेम प्लेट आदि तैयार की जा रही है.

मशीन से तैयार होती है डिजाइन:सॉवेनियर ग्रोथ सेंटर रामनगर को दीनदयाल अंत्योदय व ग्राम विकास आजीविका मिशन के तहत 10 लाख रुपये की कीमत की सीएनसी इंग्रेविंग एंड कटिंग मशीन (CNC Engraving Machine) मिली है. इस मशीन से मंदिरों के डिजाइन तैयार किए जाते हैं. उसके बाद महिलाएं मोम या रेजिन के माध्यम से टुकड़ों को चिपकाकर मंदिर तैयार करती हैं.

केदारनाथ मंदिर की डिजाइन तैयार कर रहीं महिलाएं.
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ब्लॉक मिशन मैनेजर डॉ शिव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे समूह के आउटलेट पर केदारनाथ मंदिर, बदरीनाथ मंदिर व अन्य लकड़ियों से बने उत्पादों की बिक्री हो चुकी है. इसके बहुत ही चमत्कारी नतीजे सामने आ रहे हैं. लोग इन मंदिरों को खरीदने के लिए डिमांड कर रहे हैं. इन मंदिरों की कीमत ₹500 के आसपास रखी गई है.

उन्होंने बताया कि जल्द ही अमेजन और फ्लिप्कार्ट से वार्ता चल रही है. कुछ समय बाद ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी केदारनाथ और बदरीनाथ के मंदिर दिखाई देंगे. जिसका अनुबंध 10 अगस्त को होना है. उन्होंने बताया कि अभी महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 40 हजार की बिक्री कर चुकी है. अब ब्लॉक के बाहर भी आउटलेट खोलने की इनकी तैयारी चल रही है.

क्या है एमडी फाइबर बोर्ड:एमडी फाइबर बोर्ड मध्यम घनत्व का फाइबर बोर्ड डिजाइन किया गया लकड़ी का उत्पाद है. यह लकड़ी के तंतुओं से बनता है, जो लकड़ी और सॉफ्टवुड को डिफिब्रिलेटर से तोड़कर प्राप्त किया जाता है. लकड़ी के तंतुओं को चिपकाने के लिए मोम और रेजिन प्रयोग किया जाता है. एमडीएफ आमतौर पर प्लाईवुड से सस्ता होता है.

बता दें, दीनदयाल योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विकासखंड रामनगर में विगत 18 जून से एमएसएमई (MSME) के सहयोग से सॉवेनियर ग्रोथ सेंटर नवज्योति ग्राम संगठन समूह द्वारा चलाया जा रहा है, जिसमें 12 महिलाएं मंदिर बनाने का काम कर रही है. इस ग्रोथ सेंटर के माध्यम से महिलाओं की आजीविका के साथ-साथ महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है. इससे महिलाएं भी सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हो रही है.

Last Updated : Aug 7, 2022, 1:50 PM IST

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