उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कॉर्बेट की शान बढ़ा रही कीवी बोट, 1977 के 'सागर से आकाश' अभियान का रही है हिस्सा - रामनगर न्यूज

सर एडमंड हिलेरी ने 'सागर से आकाश' अभियान में जिन तीन मोटर बोट का इस्तेमाल किया था. उसमें से एक कीवी बोट आज कॉर्बेट नेशनल पार्क की शान है.

कीवी बोट
कीवी बोट

By

Published : Aug 6, 2020, 6:13 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 11:56 AM IST

रामनगर: कई साल पहले हजारों किलोमीटर की समुद्री यात्रा करने के बाद उत्तराखंड पहुंची कीवी मोटर बोट आज कॉर्बेट नेशनल पार्क के म्यूजियम की शान बढ़ा रही है. कीवी बोट कॉर्बेट नेशनल पार्क की अमूल्य धरोहर के रूप में संरक्षित की गई है. जिसे देखने के लिए हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटक कॉर्बेट नेशनल पार्क के धनगढ़ी पहुंचते हैं.

एवरेस्ट फतह करने वाले प्रथम व्यक्ति सर एडमंड हिलेरी ने 'सागर से आकाश' अभियान में इस बोट का प्रयोग किया था. साल 1977 में हिलेरी 'सागर से आकाश' नामक अभियान पर निकले थे. हिलेरी का मकसद था- कलकत्ता से बदरीनाथ तक गंगा की धारा के विपरीत जल प्रवाह पर विजय हासिल करना.

कॉर्बेट की शान बढ़ा रही कीवी बोट

पढ़ें-रामनगर: 'जायका' से संवर रही पंचायतों की तस्वीर, प्रवासियों को भी मिला रोजगार

इस साहसी अभियान में तीन जेट नौकाओं का बेड़ा था. पहला गंगा, दूसरा एयर इंडिया और तीसरा कीवी. उनकी टीम में 18 लोग शामिल थे, जिनमें उनका 22 साल का बेटा भी था. हिलेरी का ये अभियान उन दिनों बड़ी चर्चा में था और सबकी निगाहे इस मिशन पर थी.सभी के मन में ये सवाल था कि क्या हिमालय को जीतने वाला गंगा को भी साध लेगा? लेकिन नंदप्रयाग के पास नदी के बेहद तेज बहाव और खड़ी चट्टानों से घिर जाने के बाद उनकी नाव आगे नहीं बढ़ पाई. उन्होंने कई कोशिशें की और आख़िरकार उन्हें मानना पड़ा.

इसके बाद हिलेरी ने 'सागर से आकाश' अभियान में इस्तेमाल होने वाली तीनों बोट उपहार के तौर पर भारत सरकार को दे दी. जिसमें से एक कीवी बोट को भारत सरकार ने एक मई 1979 को कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन को सौंपा था.

पढ़ें- कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पहली बार नजर आए एल्बिनो सांभर और फिशिंग कैट

पार्क प्रशासन ने कीवी बोट का इस्तेमाल मुख्यत कालागढ़ जलाशय में गश्त और शिकारियों पर नजर रखने के लिए किया था. इसके अलावा दो अन्य गंगा और एयर इंडिया नाम की बोट को सुंदरबन (पश्चिम बंगाल) और सीमा सुरक्षा बल को सौंप दिया गया था.

Last Updated : Aug 7, 2020, 11:56 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details