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रेशम उत्पादन से आप कमा सकते हैं हजारों, सिर्फ 18 दिन करनी होती है मेहनत

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Published : Sep 19, 2019, 1:18 PM IST

सितंबर और मार्च का महीना रेशम उत्पादन के लिए अनुकूल माना जाता है. ऐसे में रेशम विभाग प्रतिवर्ष रेशम कीट का उत्पादन कर किसानों को वितरित करता है. इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी.

रेशम विभाग बढ़ाएगा किसानों की आय.

हल्द्वानी: रेशम कीट के उत्पादन को लेकर इस समय अनुकूल मौसम चल रहा है. ऐसे में रेशम विभाग इन दिनों रेशम उत्पादकों के लिए कीट तैयार करने में जुटा हुआ है. विभाग कच्चा रेशम बनाने के लिए रेशम के कीड़ों का पालन कर 2,340 रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों को रेशम कीट वितरित करने वाला है. रेशम विभाग एक सप्ताह तक रेशम कीट का उत्पादन कर किसानों को वितरित करेगा. इसके बाद किसान 21 दिनों तक कीड़ों का पालन कर रेशम का कोया तैयार करेंगे.

रेशम विभाग बढ़ाएगा किसानों की आय.

अपर निदेशक रेशम विभाग अरविंद लालोरिया ने बताया कि सितंबर और मार्च का महीना रेशम उत्पादन के लिए अनुकूल माना जाता है. 15 सितंबर से रेशम कीट उत्पादन का मौसम अनुकूल है, ऐसे में वे प्रतिवर्ष रेशम कीट का उत्पादन कर किसानों को वितरित करते हैं. कीटों का पालन एक सप्ताह विभाग द्वारा किया जाता है, जिसके बाद काश्तकारों को उपलब्ध करा दिया जाता है. काश्तकार कीटों को 21 दिन तक पालन पोषण कर रेशम का कोया तैयार करेगा और विभाग को कोया उपलब्ध कराएगा, जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी.

लालोरिया ने बताया कि रेशम की खेती का काम केवल एक महीने का होता है. किसान अगर रेशम उत्पादन का काम करता है तो अन्य खेती के साथ किसान साल में 15 हजार से 20 हजार तक की आमदनी अलग से कर सकता है. साथ ही उन्होंने 2017-18 उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में 2000 किसान रेशम उत्पादन से जुड़े हुए थे जो बढ़कर इस वर्ष 2,340 हो गए हैं. उधम सिंह नगर में 989 किसान रेशम उत्पादन से जुड़े हैं, जबकि नैनीताल जिले में 825 उत्पादक रेशम का उत्पादन कर रहे हैं.

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उन्होंने बताया कि किसानों की आय को बढ़ाने के लिए रेशम विभाग किसानों को पारंपरिक खेती के साथ-साथ रेशम उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है. रेशम उत्पादन के लिए किसानों को किसी तरह का इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत नहीं है. किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ रेशम उत्पादन का भी काम कर सकता है. विभाग द्वारा रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों को निशुल्क 300 शहतूत के पेड़ दिए जाते हैं. साथ ही बहुत कम दरों में रेशम के कीट भी उपलब्ध कराए जाते हैं. एक बार पेड़ लग जाने के बाद उसको 20 साल तक उपयोग में लाया जा सकता है.

रेशम कीट का जीवन मात्र 30 दिन का होता है. विभाग द्वारा एक सप्ताह का कीट (रेशम का कीड़ा) किसानों को दिया जाता है. मात्र 18 दिन किसान को इस कीट को पालना पड़ता है, जिसके बाद रेशम तैयार हो जाते हैं.

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