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Old Age Home: अपनों ने ठुकराया तो कनक चंद ने अपनाया, बेसहारा बुजुर्गों को मिली धर्म पुत्री - Old Age Home

अपने लिए तो सब जीते हैं, लेकिन दूसरों के लिए जो जिए वहीं इंसान कहलाता है. ये पंक्तियां श्रीआनंद आश्रम की संचालिका कनक चंद पर सटीक बैठती हैं. कनक बेसहारा बुजुर्गों को सहारा देने में लगी हुई हैं, जहां वो हर बुजुर्ग की परेशानियों को सुनकर उन्हें दूर करने में लगी रहती हैं.

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Published : Feb 15, 2023, 9:31 AM IST

Updated : Feb 15, 2023, 10:36 AM IST

अपनों ने ठुकराया तो कनक चंद ने अपनाया

हल्द्वानी:बुजुर्गों को जब अपनों ने ठुकराया तो कनक चंद उनके लिए सहारा बनकर खड़ी हो गईं. बाबा नीम करौली महाराज से प्रेरणा लेते हुए हल्द्वानी निवासी कनक चंद ने रामपुर रोड में आनंद वृद्धाश्रम खोला है जहां वो बुजुर्गों को सहारा दे रही हैं. जीवन के आखिरी पड़ाव में बुजुर्ग जब अपनों को बोझ लगने लगते हैं तो बेटे-बहू उन्हें घर से बेघर कर देते हैं. ऐसे में कनक चंद 19 बुजुर्गों की धर्म पुत्री बनी हुई हैं. शहर में पिछले 7 सालों से किराए की बिल्डिंग में चल रहे श्रीआनंद वृद्धाश्रम में धर्मपुत्री बनकर इस धर्म को बखूबी निभा रही हैं.

बेसहारा बुजुर्गों के लिए सहारा बनी कनक चंद:श्रीआनंद आश्रम की संचालिका कनक चंद ने बताया कि वर्ष 2016 में पूज्य बाबा नीब करौरी महाराज जी की प्रेरणा से हल्द्वानी रामपुर रोड गोरा पड़ाव बाईपास में वृद्धाश्रम बनाया गया है. गरीब, असहाय व दिव्यांग बुजुर्गों के जीवन पर्यन्त निःशुल्क रहने- खाने व इलाज आदि के लिए खोले गये आश्रम में तब से देशभर से गरीब-बेसहारा वृद्ध आकर रहते हैं. वृद्धों के लिए रहने खाने की व्यवस्था के साथ ही उन्हें परिवार में सम्मान भी मिले इसके लिए प्रयास किये जाते हैं. आश्रम में इस समय 19 बुजुर्ग हैं. इनमें 12 महिलाएं और 7 पुरुष हैं. उन्होंने बताया कि कई बुजुर्गों के परिजनों से काउंसिलिंग कर उन्हें घर भी भेजा जा चुका है. आश्रम में बुजुर्गों को किसी तरह की कोई भी परेशानी नहीं होती है.

आश्रम में भजन-कीर्तन करते बुजुर्ग
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तीलू रौतेली सम्मान से सम्मानित:बुजुर्गों के लिए भजन कीर्तन से लेकर मनोरंजन की व्यवस्था भी की गई है. यहां तक कि उन्हें फिट रखने के लिए उनको योग प्रशिक्षण भी दिया जाता है. बुजुर्गों का आश्रम में निधन होने पर उनका पूरी विधि-विधान से अंतिम संस्कार और वृद्धाश्रम में शांति पाठ कराकर शुद्धिकरण भी कराया जाता है. हालात के थपेड़े झेल चुके इन बुजुर्गों को अब रोना नहीं आता. इन्हें अपने जैसे हमदर्दों का सहारा मिल गया है.

लोग घरों में सालगिरह, जन्मदिन और अन्य त्योहार मनाते हैं, लेकिन इन बुजुर्गों के लिए हर दिन एक जैसा है. इन बुजुर्गों के सम्मान में लोग संस्था को कुछ मदद देते हैं, लेकिन सरकार द्वारा संस्था को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलती है. कनक चंद लोगों की मदद से इस संस्था को चला रही हैं. कनक चंद के इस काम के लिए सरकार साल 2019 में उन्हें तीलू रौतेली सम्मान से भी सम्मानित कर चुकी है. लेकिन अभी तक सरकार से संस्था के लिए कोई मदद तक नहीं मिली है.

Last Updated : Feb 15, 2023, 10:36 AM IST

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