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कोरोना को कहो 'ना': अपने गीत से लोगों को जागरुक कर रही श्रद्धा

कोरोना वायरस से बचाव के लिए गीत और संगीत के माध्यम से श्रद्धा लोगों को जागरुक कर रही है. उनका कहना है कि इस गाने से लोगों को समझाने की कोशिश की गई है कि कैसे लोगों को सामाजिक दूरी बनानी है, साथ ही कैसे अपने घरों में ही रहना है.

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गीत और संगीत के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही श्रद्धा

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Published : Mar 30, 2020, 9:55 PM IST

हल्द्वानी:पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है. लेकिन इन हालातों में कोरोना वायरस को लेकर जागरुकता बेहद जरूरी है, आप जितने जागरुक होंगे. उतने ही अच्छी तरह से कोरोना को मात दे सकेंगे.

गीत और संगीत के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही श्रद्धा

बता दें कि, सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार में कार्यरत दो महिलाओं ने लॉकडाउन के चलते घर बैठे कोरोना वायरस को लेकर जागरुकता गीत तैयार किया है. गीत के माध्यम से लोगों को यह समझाने की कोशिश की है कि आपको सामाजिक दूरी कैसे बनानी है? साथ ही कैसे अपने घरों में ही रहना है? सूचना और प्रसारण मंत्रालय में कार्यरत जिन दो महिलाओं ने इस गीत संगती को तैयार किया है. इनका नाम शर्मिष्ठा बिष्ट और श्रद्धा तिवारी है. शर्मिष्ठा बिष्ट पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखती हैं, तो वहीं, श्रद्धा तिवारी हल्द्वानी की रहने वाली हैं.

गीत और संगीत के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही श्रद्धा

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श्रद्धा तिवारी के मुताबिक, स्थानीय नागरिक होने के नाते आम जनता को कोरोना वायरस से सावधानी के बारे में गीत के माध्यम से जागरुक किया गया है. उन्होंने कहा कि एक प्रयास सार्थक होता दिखाई दे रहा है.

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गौरतलब है कि, शर्मिष्ठा बिष्ट पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखती हैं . लिहाज़ा आम जनता के बीच शर्मिष्ठा ने अपनी बात अंगेजी भाषा में रखी है, जबकि श्रद्धा तिवारी ने कुमाउंनी भाषा में. जिससे स्थानीय लोगों को समझने में आसानी हो. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से कोरोना फाइटर्स जैसे पुलिस, डॉक्टर, मीडिया अपना बेहतर योगदान दे रहे हैं, हम भी गीत संगीत के माध्यम से इस विपदा की घड़ी में अपना योगदान देकर लोगों को जागरुक करने का प्रयास कर रहे हैं.

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