हल्द्वानी: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बड़ा ही महत्व होता है. साल में चार बार नवरात्रि आती हैं, लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. इस दौरान मां भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि की शुरुआत आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होती है. इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो रही है, जबकी 24 अक्टूबर को समापन होगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था. उसी का जश्न मनाने के लिए नवरात्रि मनाई जाती है. नवरात्रि के पहले दिन रविवार को मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान सर्वप्रथम घट स्थापना की जाती है और फिर मां दुर्गा का आह्वान, स्थापन और प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.
ज्योतिष डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार नवरात्रि नक्षत्र और वैधृति योग शुरू हो रहा है. शारदीय नवरात्रि सभी नवरात्रियों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. पंचांग के अनुसार, 15 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र शाम में 6 बजकर 10 मिनट तक है, जबकी वैधृति योग सुबह 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. ऐसे में घट स्थापना सुबह भी कर सकते हैं. साथ ही अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना की जा सकती है. 15 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 44 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इस दिन मां भगवती की आराधना के लिए मिट्टी की मां भगवती की मूर्ति, मिट्टी का घड़ा, चांदी, अष्ट धातु, पीतल या आदि धातु की मूर्ति और कलश स्थापित कर सकते हैं.
मां दुर्गा के नौ स्वरूप
प्रतिपदा – 15 अक्टूबर – मां शैलपुत्री
द्वितीय - 16 अक्टूबर - मां ब्रह्मचारिणी
तृतीय – 17 अक्टूबर – मां चंद्रघंटा
चतुर्थी – 18 अक्टूबर – मां कूष्मांडा पंचमी