हल्द्वानी: शहर के रामलीला ग्राउंड (Haldwani Ramlila Ground) में पिछले 138 सालों से रामलीला (Haldwani Ramlila) का आयोजन किया जा रहा है. जहां हर साल दशहरे के मौके पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले का दहन किए जाते हैं. लेकिन इन पुतलों को बनाने के लिए बाहरी राज्यों से मूर्तिकार, कारीगर आते हैं. उत्तर प्रदेश में बरेली के बहेड़ी के रहने वाले शंभू बाबा (Haldwani Sculptor Shambhu Baba) पिछले 60 सालों से रावण परिवार के पुतला बनाते आ रहे हैं. 75 साल के महंत शंभू बाबा में अभी भी पुराना जोश और जज्बा देखा जा सकता है, जो दिन रात मेहनत कर अपनी टीम के साथ रावण परिवार के पुतले बनाने में जुटे हुए हैं.
तीन पीढ़ियों से बना रहे हैं रावण परिवार के पुतले: शंभू बाबा (Sculptor Shambhu Baba) बताते हैं कि तीन पीढ़ियों से उनका परिवार दशहरे के मौके पर रावण परिवार के पुतले बनाते आ रहे हैं. वह अब नई पीढ़ी को इस परंपरा से जोड़ने का काम कर रहे हैं. शंभू बाबा ने बताया कि दशहरे के मौके पर पिछले 1 महीने से रावण परिवार के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. हल्द्वानी में आयोजित रामलीला (Haldwani Ramlila Maidan) में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन होना है. 1 लाख 35 हजार रुपए में पुतला बनाने का काम लिया है, उनके साथ ही युवा पीढ़ी को भी रोजगार मिल रहा है.
इस बार विशेष होगा रावण का पुतला: उन्होंने कहा कि युवा इस कला से भी जुड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा तैयार किए जा रहे पुतले पूरी तरह प्रदूषण से मुक्त हैं. पुतले घास और कागज से बनाए जा रहे हैं. इस बार के पुतलों में खासियत यह है कि 50 फीट ऊंचे रावण के पुतले के दोनों आंख और मुंह चलते रहेंगे जो पूरी तरह से लाइटिंग से सजाई जाएगी. महंत शंभू गिरि बाबा ने बताया कि वह पेशे से मूर्तिकार हैं और अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं. आज से करीब 45 साल पहले उनकी पत्नी का निधन हो गया. तब से वह पूरी तरह संन्यासी बन गए और मूर्ति, पुतले आदि बनाने के साथ नई पीढ़ी को सिखाने में जुट गए.
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