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Sankashti Chaturthi: भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करने से दूर होंगे सभी कष्ट, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि - संकष्टी चतुर्थी की जानें विधि

Sankashti Chaturthi 2023 इस माह संकष्ट चतुर्थी 3 सितंबर को मनाई जाएगी. ये दिन भगवान गणेश की पूजा और उपासना का दिन माना जाता है. कहा जाता है कि संकष्ट चतुर्थी भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं.

Sankashti Chaturthi 2023
Sankashti Chaturthi 2023

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 2, 2023, 5:39 PM IST

3 सितंबर को मनाी जाएगी संकष्टी चतुर्थी

हल्द्वानी:भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी मनाई जाती है. इस बार संकष्ट चतुर्थी 3 सितंबर दिन रविवार को मनाई जाएगी. माना जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति विधि-विधान से भगवान गणेश की आराधना करता है. उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है.

उदया तिथि के अनुसार 3 सिंतबर को है संकष्टी चतुर्थी:ज्योतिषी डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. 2 सितंबर को संकष्टी चतुर्थी संध्याकाल में 8 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 3 सितंबर को संध्याकाल में 6 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 3 सिंतबर को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का समय संध्याकाल 08 बजकर 57 मिनट है.

भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करना लाभकारी:संकष्ट चतुर्थी के मौके पर भगवान गणेश के साथ-साथ भगवान चंद्रमा की आराधना की जाती है. जिससे गृहस्थ जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं. मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है. इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं.
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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि:इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प ले. साफ और धूले हुए कपड़े पहन लें. इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है. गणपति की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए. सबसे पहले गणपति की मूर्ति को स्नान कराकर नए वस्त्र पहनकर फूलों से अच्छी तरह सजा लें. पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल तांबे के कलश में पानी , धुप, चंदन और प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें. मोदक का भोग लगाएं और बाद में गणपति के सामने धूप-दीप जलाकर गणपति मंत्र का जाप करें.
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