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रामनगर के शक्तिनगर में खुला महिला आयोग का कैंप कार्यालय, अध्यक्ष सायरा बानो ने काटा फीता - शक्तिनगर में महिला आयोग का कैंप कार्यालय

रामनगर के शक्तिनगर में सायरा बानो ने उत्तराखंड राज्य महिला आयोग के कैंप कार्यालय का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि मुख्य कार्यालय काशीपुर में होने के कारण पीड़ित महिलाओं की शिकायतें उन तक नहीं पहुंच पा रही थी. इस कारण रामनगर में कार्यालय का उद्घाटन किया गया है.

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Published : Aug 14, 2022, 1:23 PM IST

रामनगरः उत्तराखंड राज्य महिला आयोग (Uttarakhand State Commission for Women) की उपाध्यक्ष सायरा बानो (Saira Banu) ने शनिवार को रामनगर के ग्राम पूछड़ी शक्तिनगर में ग्राम प्रधान नरगिस के आवास पर कार्यालय का शुभारंभ (Camp office inaugurated in Shaktinagar) किया. इस दौरान सायरा बानो ने कहा कि घरेलू हिंसा, महिला उत्पीड़न के अलावा दहेज से संबंधित प्रताड़ित महिलाओं के मामले रामनगर से भी सामने आ रहे थे. उनका मुख्य कार्यालय काशीपुर में होने के कारण पीड़ित महिलाओं की शिकायतें उन तक नहीं पहुंच पा रही थी. इस कारण रामनगर में कार्यालय का उद्घाटन किया गया है.

सायरा बानो ने कहा कि प्रत्येक माह के हर शनिवार को वह यहां बैठकर पीड़ित महिलाओं की समस्याओं को सुनते हुए उनका समाधान करेंगी. उन्होंने बताया कि साल 2021 में उनके द्वारा आयोग स्तर से 95 मामलों का निस्तारण किया जा चुका है. उन्होंने क्षेत्र की महिलाओं से अपनी समस्याओं का समाधान को लेकर सजग रहने की अपील करते हुए कहा कि आयोग के माध्यम से पीड़ित महिलाओं की समस्याओं का प्राथमिकता से समाधान कराया जाना उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने महिलाओं से कहा कि वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे.
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कौन हैं सायरा बानोः काशीपुर की रहने वाली सायरा बानो की शादी 2001 में हुई थी. 10 अक्टूबर 2015 को उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया था. सायरा ने कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा था कि तीन तलाक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. इसके बाद उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक असंवैधानिक घोषित किया.

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन तलाक के खिलाफ कानून की नींव सायरा बानो के याचिका डालने के बाद ही पड़ी थी. सायरा बानो ने तीन तलाक खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद उस पर तीखी बहस चली. अदालत के रास्ते ये एक कानून बन गया. केंद्र सरकार के कानून के मुताबिक, अब किसी महिला को बोलकर तीन तलाक नहीं दिया जा सकता है वो मान्य नहीं होगा. अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भी हो सकती है.

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