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रामनवमी के दिन बन रहे ये दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व एवं अन्य खास बातें - रामनवमी का त्योहार लेटेस्ट न्यूज

हिंदू धर्म में राम नवमी का त्योहार खास होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल राम नवमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, राम नवमी के दिन रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग का त्रिवेणी संयोग बन रहा है. इन तीन योगों के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है.

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रामनवमी कल

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Published : Apr 9, 2022, 1:42 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 10:05 PM IST

हल्द्वानी:भगवान श्री राम का जन्मदिन रामनवमी 10 मई दिन रविवार को मनाया जाएगा. चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तिथि को रामनवमी मनाई जाती है. रामनवमी का त्योहार हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है. इस बार रामनवमी पर रवि पुष्य योग, सर्वार्थसिद्धि योग एवं रवि योग का त्रिवेणी संयोग बन रहा है. इस त्योहार को भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म रूप में मनाया जाता है.

ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक 10 अप्रैल रविवार को रामनवमी के साथ-साथ नवरात्र का पारण भी होगा. भगवान श्री राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था. ऐसे में रविवार दोपहर 12:00 बजे भगवान श्रीराम का जन्म उत्सव मनाया जाएगा. नवमी के दिन प्रातः काल सूर्य उदय के बाद से पूजा के लिए शुभ मुहूर्त बन रहा है.

रामनवमी का शुभ मुहूर्त

10 अप्रैल दिन रविवार रात्रि 1:22 से चैत्र शुक्ल नवमी तिथि प्रारंभ होकर अगले दिन 3:16 तक रहेगा. जन्मोत्सव के लिए शुभ मुहूर्त 10 अप्रैल रविवार को दोपहर 11:30 बजे से लेकर 2:00 बजे तक रहेगा. इस दिन घरों में खुशियां मनाने का त्योहार है. घरों में खीर, पूड़ी सहित कई तरह के अन्य व्यंजन बनाकर भगवान श्री राम को अर्पित कर प्रसाद ग्रहण करते हैं.

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मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर जो भी विधि विधान के साथ भगवान श्रीराम की आराधना करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि भगवान श्री राम माता कौशल्या के गर्भ से राम नवमी के दिन ही दोपहर में पैदा हुए थे. इसलिए जो भी मनुष्य उस दिन रात और दिन का व्रत कर जागरण करके भगवान श्री राम की पूजा आराधना करता है तो उसके जन्म जन्मांतर के कष्ट दूर होते हैं. साथ ही प्रभु के परमधाम की प्राप्ति होती है.

कैसे करें पूजा: रामनवमी के दिन प्रात काल स्नान आदिक्रिया से निवृत्त होकर उपवास करें. शुभ मुहूर्त में एक मंडप बनाकर पंचोपाकर विधि से पूजा करें. जल, पंचामृत, जनेऊ, रोड़ी, चंदन, पुष्प, धूप, पान, सुपारी, फल, मिठाई के साथ घी का दीपक जलाएं. हनुमान चालीसा का पाठ करें और 108 बार ऊं रां रामाय नम: का जाप करें. इसके बाद श्रीराम स्त्रोत या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए.

Last Updated : Apr 9, 2022, 10:05 PM IST

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