रामनगर: उत्तराखंड के युवा नौकरी की भागदौड़ में दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करते रहते हैं, वहीं, कुछ युवा ऐसे भी हैं जो इन दिनों दिल्ली लौटकर स्वरोजगार को नये आयाम दे रहे हैं, रामनगर के राजेश इन्ही युवाओं में से एक हैं. लॉकडाउन जैसे मुश्किल हालातों में राजेश ने दिल्ली से लौट कर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. जिसके बाद राजेश की तकदीर ही बदल गई. आज राजेश न सिर्फ स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर हैं बल्कि वे कई लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं.
कॉर्बेट पार्क आने वाले पर्यटक इन दिनों बाघों के साथ ही झिरना जोन में जाते हुए रास्ते मे पड़ने वाले सावल्दें गांव में स्ट्राबेरी की खेती को भी देखना भी नहीं भूलते. लॉकडाउन में दिल्ली से रामनगर आए राजेश और सचिन ने हाल ही में यहां स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, जो कि उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुई. नोएडा में रहने वाले राजेश ने लॉकडाउन के समय कारोबार से चिंतित होकर रामनगर के सावल्दें क्षेत्र में खुद की जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने का मन बनाया. आज यही खेती राजेश के जीवन में खुशियों के रंग भरने लगी है. 3 महीने की खेती से ही राजेश को अच्छा खासा मुनाफा होने लगा है.
बता दें स्ट्रॉबेरी का इस्तेमाल जूस के अलावा दवा और चॉकलेट में भी किया जाता है. स्ट्रॉबेरी के पौधे खुले में लगाए जाते हैं. इनसे 3 माह में ही फसल ली जाती है. इसके लिए खेती की अच्छी तरह जुताई करते हैं. खेत में अनेक मेड बनाई जाती हैं. इसमें अनेक पौधे लगाए जाते हैं .1 एकड़ में 22 से 25000 पौधे लगाए जाते हैं. राजेश ने विंटर स्टार किस्म की स्ट्रॉबेरी लगाई है. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की स्वीट शामली किस्म की फसल सबसे मीठी होती है.
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