हल्द्वानी:अल्मोड़ा जिला जेल में रंगदारी और नशे के कारोबार का मामला सामने आने के बाद प्रदेश के जेलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं. जेलों में तमाम सुरक्षा प्रबंध के बावजूद जेल से रंगदारी, हत्या की फिरौती, मोबाइल का इस्तेमाल, लड़ाई झगड़े और नशे का कारोबार जैसे घटनाएं जेलों में सामने आ चुकी हैं. ऐसे में सबसे अधिक कैदी वाले हल्द्वानी उप कारागार (haldwani sub jail) की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.
हल्द्वानी जेल में करीब 382 कैदियों की रखने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान समय में 1705 कैदी हैं, जिसमें 90 महिलाएं और दो ट्रांसजेंडर शामिल हैं. यही नहीं, हल्द्वानी जेल में सुरक्षाकर्मियों (security personnel) की भारी कमी है, जबकि सीसीटीवी कैमरे से निगरानी के नाम पर केवल चार कैमरे ही काम कर रहे हैं, ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं. हल्द्वानी उप कारागार में कई ऐसे अपराधी भी हैं, जो खूंखार प्रवृत्ति के हैं. ऐसे में हल्द्वानी जेल की सुरक्षा में जरा सी चूक से बड़ी घटना हो सकती है.
हल्द्वानी उप कारागार की सुरक्षा:हल्द्वानी जेल (Haldwani Jail) की सुरक्षा की बात करें तो 382 कैदियों क्षमता वाले जेल में और 1705 कैदी ठूंस-ठूंस कर रखे गए हैं. हल्द्वानी उप कारागार स्टाफ के 106 पद स्वीकृत हैं, जिसके सापेक्ष में 50 पद पर कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी ही तैनात हैं, जबकि 56 पद अभी भी खाली हैं. हल्द्वानी उप कारागार में सबसे अधिक बंदी रक्षकों की कमी हैं. हल्द्वानी उप कारागार में बंदी रक्षकों के 67 पद स्वीकृत हैं, जिसके सापेक्ष में 37 बंदी रक्षक काम कर रहे हैं, जबकि 30 पद अभी भी खाली हैं.
हल्द्वानी जेल प्रशासन हुआ अलर्ट इसके साथ ही हल्द्वानी उप कारागार में उपकरापाल के 5 पद स्वीकृत हैं, जो पिछले कई सालों से खाली पड़े हैं. प्रधान बंदीरक्षक के 8 पद हैं, जिसमें 3 कार्यरत हैं, जबकि 5 पद खाली हैं. जेलर( कारापाल) का एक पद स्वीकृत है, जो खाली पड़ा है. रिजर्व बंदी रक्षक के 6 पद हैं, जिसमें 3 पद खाली हैं. महिला बंदी रक्षक के 4 पद स्वीकृत हैं, जो सभी खाली हैं.
सुरक्षा व्यवस्था निगरानी की बड़ा माध्यम सीसीटीवी भी है, लेकिन हल्द्वानी जेल में मात्र 4 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जो केवल मुख्य द्वार की निगरानी की जाती है. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि जेल के अंदर कैदियों की क्या गतिविधियां हैं, कैदियों के बीच होने वाले आपसी संघर्ष की निगरानी कैसे हो? इसको लेकर कोई सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं, जो अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है.
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जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा का कहना है कि जेलों में आपराधिक घटनाओं के मद्देनजर सुरक्षाकर्मियों द्वारा कैदियों और उनके बैरक की तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा जेल के सभी कर्मचारियों को लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश भी जारी किए गए हैं. बाहर से आने वाले व्यक्तियों के ऊपर थी निगरानी रखी जा रही है और बिना तलाशी के उनको भी जेल के अंदर प्रवेश नहीं होने दिया जा रहा है. जेल के अंदर सीसीटीवी बढ़ाए जाने को लेकर शासन को पत्र लिखा गया है और बजट मिलते ही सीसीटीवी कैमरे को लगा दिये जाएंगे.
डीआईजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे का कहना है कि अल्मोड़ा जेल में आपराधिक गतिविधियां पाए जाने के बाद अब पुलिस और एसटीएफ को अलर्ट पर किया गया है, जिस भी जेल से कोई भी आपराधिक गतिविधियों का संचालन की सूचनाएं मिलेगी, लापरवाही मिलने पर जेल प्रशासन के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें, उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (STF) अल्मोड़ा जेल (Almora Jail) में कुख्यातों के नेटवर्क को पकड़ा है. हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहा महिपाल अपने साथी अंकित बिष्ट के साथ मिलकर प्रदेश में नशे का कारोबार चला रहा था. छापेमारी के दौरान जेल से मोबाइल फोन सिम और नकदी भी बरामद हुई है. मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. वहीं, जेल में कैदियों तक मोबाइल, नकदी और अन्य प्रतिबंधित सामान किसने पहुंचाया, पुलिस इसकी पड़ताल में जुट गई है. कई और संदिग्ध पुलिस के रडार पर हैं.