हल्द्वानी:कुमाऊं की हरी-भरी पहाड़ की वादियां अपनी सुंदरता और लोक संस्कृति के लिए जानी जाती हैं. शरद ऋतु के बाद कुमाऊं के पहाड़ के बगीचे और खेत-खलिहान रंग-बिरंगे फूलों के साथ-साथ फलों से भी लहलहा रहे हैं. वहीं पहाड़ों में इन दिनों वसंत के आगमन का प्रतीक प्योली फूल जंगलों के वातावरण में चार चांद लगा रहे हैं. जंगली प्रजाति के यह फूल जब खिलते हैं तो पूरे वातावरण में वसंत के आगमन का आभास हो जाता है.
ये है प्राचीन मान्यता: कहानी है कि एक समय था जब पहाड़ों में देवगढ़ के राजा का राज हुआ करता था. राजा की इकलौती पुत्री का नाम प्योली था. राजा अपनी पुत्री से बहुत प्यार करता था. एक दिन उसकी बीमारी के चलते मौत हो गई. जिसके बाद राजा ने अपनी पुत्री की याद में स्मारक बनाया, जहां स्मारक पर एक पीले रंग का फूल निकला. जिसके बाद राजा ने उस फूल का नाम अपने पुत्री के नाम पर प्योली रख दिया.
क्या कहते हैं पर्यावरण प्रेमी: पर्यावरण प्रेमी तनुजा जोशी के मुताबिक वैसे तो पहाड़ों में सैकड़ों प्रकार के फूल उगते हैं. लेकिन पहाड़ों के फूलों का अपना अलग ही महत्व है. फूल जहां प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाते हैं तो वहीं कई औषधियों से भी भरपूर हैं. प्योली फूल वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक माना जाता है और इन दिनों पहाड़ों पर चारों ओर पीले फूल अपनी छटा बिखेर रहे हैं. ये फूल पहाड़ों की प्राकृतिक सुंदरता के प्रतीक हैं. प्योली फूल का बॉटनिकल नाम रेनवासिया इंडिका है.