हल्द्वानी:स्वास्थ्य और सेहत को ध्यान में रखते हुए लोगों ने अब अपने खानपान में परिवर्तन किया है. ऐसे में एक बार फिर से मोटे अनाज के प्रति लोगों में रुझान देखा जा रहा है. लोगों को स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर भी मोटे अनाज खाने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में अब मोटे अनाज खाने का चलन फिर से लौट आया है. मोटे अनाज की डिमांड को देखते हुए अब सरकार भी किसानों को इनके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज की पैदावार करें और अपनी आर्थिक मजबूती के साथ-साथ लोगों को खाने के लिए मोटा अनाज मिल सके.
मोटे अनाज की डिमांड को देखते हुए अब उत्तराखंड के किसान फिर से मंडुवा, मक्का, सांवा, रामदाना, झंगोरा, चौलाई इत्यादि फसलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इसी को देखते हुए अब सरकार ने मोटे अनाज खरीद के लिए समर्थन मूल्य भी घोषित कर दिया है. जिससे कि किसान ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज की पैदावार कर सकें. बात उत्तराखंड की करें तो पिछले 3 सालों में उत्तराखंड में मोटे अनाज की पैदावार बढ़ी है.
आंकड़ों की बात करें तो जहां वर्ष 2020-21 में 1,49,898 हेक्टेयर क्षेत्रफल में मंडुवा, मक्का, सांवा, रामदाना का उत्पादन हुआ करता था. 2021-22 में उत्पादन का क्षेत्रफल बढ़कर 1,53,579 हेक्टेयर हो गया है. बात उत्पादन की करें तो वर्ष 2020-21 में 2,32,234 मीट्रिक टन था जो बढ़कर 2021-22 में 25,20,072 मीट्रिक टन हुआ है. वर्ष 2021-22 में मक्के का उत्पादन 52,236 मीट्रिक टन, मंडुवे का उत्पादन 1,26,916 मीट्रिक टन, सांवा 65,429 मीट्रिक टन, जबकि रामदाना 7491 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ है.
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