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गर्जिया मंदिर के टीले की सुरक्षा का काम 14 सालों से लटका, पुजारी बोले- सरकार मंदिर में लगाएं ताले

Garjiya Devi Temple in Danger At Ramnagar विश्व प्रसिद गर्जिया देवी मंदिर सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहा है. इस मंदिर के टीले में दरारें आ रही हैं. साथ ही मिट्टी भी लगातार गिर रहा है. जिसे मंदिर खतरे के मुहाने पर खड़ा हो गया है. आलम ये है कि 14 साल हो जाने के बाद भी अभी तक फाइल को इधर से उधर किया जा रहा है. जिस पर पुजारियों का कहना है कि सरकार को ताला लगाना चाहिए. जानिए किस वजह से खतरे में प्रसिद्ध गर्जिया मंदिर...

Garjiya Devi Temple
गर्जिया मंदिर

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 8, 2024, 10:09 PM IST

Updated : Jan 8, 2024, 10:34 PM IST

खतरे में गर्जिया देवी मंदिर

रामनगर: प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर के टीले में आई दरार लगातार बढ़ रही है. साल 2010 में बाढ़ आने के बाद से ही दरार बढ़ती जा रही है, साथ ही मिट्टी भी तेजी से गिर रही है, लेकिन 14 साल बाद भी आज तक टीले की मरम्मत और मंदिर के सुरक्षात्मक कार्य के लिए बजट पास नहीं हो पाया है. जिस पर मंदिर के पुजारियों का गुस्सा फूट पड़ा है. इतना ही नहीं उन्होंने सरकार से मंदिर में ताला लगाने की मांग तक कर दी है. उधर, क्षेत्रीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने मामले को लेकर सीएम धामी से वार्ता करने की बात कही है.

गर्जिया देवी मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

गर्जिया मंदिर के टीले से गिर रही मिट्टी: दरअसल, रामनगर के प्रसिद्ध गर्जिया या गिरिजा देवी मंदिर कोसी नदी के दो धाराओं के बीच एक टीले के ऊपर मौजूद है, लेकिन साल 2010 में आई बाढ़ के बाद टीले पर लगातार दरार पड़ रही है. साथ ही दरार की वजह टीले से लगातार मिट्टी गिर रही है. जिससे मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है. जिसका सर्वे कई बार रुड़की के भूगर्भ वैज्ञानिक भी कर चुके हैं. जिसके बाद सुरक्षात्मक कार्य करने के लिए डीपीआर बनाई गई, लेकिन मरम्मतीकरण के लिए शासन से बजट ही पास नहीं हो पाया.

खतरे में गर्जिया देवी मंदिर

तिरपाल से कवर किया जा चुका टीला, नीचे कराए जा चुके दर्शन: बीते साल बरसात के दौरान सिंचाई विभाग ने नदी के पानी से मंदिर को बचाने के लिए विशेष तिरपाल के जरिए पूरे टीले को कवर कर दिया था. वहीं, दो महीने पहले भी कार्तिक पूर्णिमा के मेले पर भी टीले की सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर के नीचे ही पदचिन्ह रखकर दर्शन करवाए गए. भक्तों को ऊपर टीले पर नहीं जाने दिया गया. वहीं, इन 14 सालों में कई बार सर्वे कर प्रस्ताव भी भेजे गए, लेकिन सरकार इसके स्थायी समाधान की तरफ नहीं बढ़ पाई.
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बता दें कि सिंचाई विभाग ने स्थायी सुरक्षा के लिए 9.29 करोड़ रुपए डीपीआर बनाकर शासन को भेजा था, लेकिन इस बार भी मूल्यांकन समिति की बैठक में रुड़की से आई टेक्निकल टीम ने इसको मॉडिफाई करने की बात कही. ऐसे में फिर से 3 महीने के लिए गर्जिया देवी के टीले की सुरक्षा का काम लटक गया है. दरअसल, अब फिर से निरीक्षण कर नया प्रस्ताव तैयार किया जाएगा. जिसे दोबारे से शासन को भेजा जाएगा.

मंदिर के टीले से गिर रही मिट्टी

मुख्य पुजारी मनोज पांडे बोले- मंदिर को ही बंद करा दें: फिलहाल, आगामी कुछ महीनों तक मंदिर के सुरक्षात्मक कार्य होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. जिस पर गर्जिया या गिरिजा देवी मंदिर समिति से जुड़े पुजारियों का आक्रोश बढ़ गया है. गर्जिया देवी के मुख्य पुजारी मनोज पांडे का कहना है कि इन 14 सालों में कई बार तत्कालीन और वर्तमान सीएम से मिल चुके हैं, लेकिन आज तक टीले की सुरक्षा का कार्य नहीं हो पाया है.

उन्होंने कहा कि सरकार राम मंदिर और कई मंदिर बना रही है, जिसका वो समर्थन करते हैं, लेकिन आस्था के केंद्र गर्जिया मंदिर के टीले की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं किया जा रहा. जिससे मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार मंदिर का मरम्मत नहीं करवा पा रही है तो खुद ही मंदिर में ताला लगवा दें. क्योंकि, यहां कभी भी हादसा होने में देर नहीं लगेगा.
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बीजेपी से पूर्व दर्जा राज्य मंत्री ने सरकार पर खड़े किए सवाल: गिरिजा देवी मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्य और बीजेपी से पूर्व दर्जा राज्य मंत्री देवी दत्त दानी ने सरकार पर ही सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि वो खुद भी लंबे समय से देखते आ रहे हैं कि यहां विभिन्न संस्था कई बार सर्वे कर चुकी है, लेकिन आज भी स्थायी समाधान नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि टीले की मिट्टी लगातार धंस रही है. उनका साफ कहना है कि अगर सरकार इसे ठीक करवाना चाहती है तो करें अन्यथा मंदिर में ताला लगा दें.

बरसात में ऐसा नजर आता है मंदिर

कांग्रेस के पूर्व विधायक बोले- सरकार की काम करने की मंशा ही नहीं: वहीं, कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार की कार्य करने की मंशा ही नहीं है. जबकि, खुद मुख्यमंत्री धामी यहां आए थे. उन्होंने निरीक्षण कर मरम्मत करने की घोषणा की थी. जिसके बाद इसका कार्य तेजी से होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में मुख्यमंत्री की घोषणा का औचित्य ही क्या है? जब कोई काम ही नहीं होना है.

मामला बेहद गंभीर है, ऐसे में इतना समय नहीं लगना चाहिए था. पिछली बार भी उनकी सीएम धामी से वार्ता हुई थी. मंदिर की मरम्मत के लिए लगातार कोशिश की जा रही है. ताकि, जल्द से जल्द मरम्मत की जा सके. अब वो फिर से सीएम से मुलाकात करेंगे. क्योंकि, यह मंदिर सभी का आस्था का केंद्र है. - दीवान सिंह बिष्ट, विधायक, रामनगर

क्या बोले सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता? वहीं, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ऐके गुप्ता का कहना है कि गर्जिया मंदिर के टीले की सुरक्षा को लेकर 9 करोड़ से ज्यादा की डीपीआर बनाई गई थी. जिसको शासन में हुई आपदा न्यूनीकरण की मीटिंग में रखा गया था. मीटिंग में प्रॉपर मॉडल स्टडी के लिए रुड़की के वैज्ञानिकों से निरीक्षण कराने के निर्देश दिए गए थे. अब निरीक्षण का काम पूरा हो चुका है. जिसके अध्ययन में 3 महीने का समय लगेगा. जिसके बाद दोबारे से इसकी नई डीपीआर बनाई जाएगी.
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खास है गर्जिया देवी मंदिर की महिमा:गर्जिया देवी मंदिर प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य के साथ ही देवत्व का भी अहसास कराता है. यह मंदिर रामनगर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां मां भगवती का मंदिर छोटी पहाड़ी के ऊपर बना है. मंदिर में श्रद्धालु मन्नत मांग कर बावड़ घास या चुनरी की गांठ बांधते हैं. जब मनोकामना पूरी होती है, तब श्रद्धालु उस गांठ को खोलने जरूर आते हैं.

पौराणिक मान्यता है कि यह मंदिर महाभारतकालीन है. जहां राजा विराट ने पांडवों को अज्ञातवास के दौरान रहने की अनुमति दी थी. माना जाता है कि राजा विराट ने इसी स्थल पर ही मां गर्जिया की कठोर तपस्या की थी. मां गर्जिया को ही मां पार्वती का रूप माना जाता है. राजा विराट की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गर्जिया ने उन्हें मोक्ष का वरदान दिया था.

Last Updated : Jan 8, 2024, 10:34 PM IST

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