हल्द्वानी: लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और दीपावली पर होने वाले ध्वनि और वायु प्रदूषण से नुकसान को लेकर अब उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जागरूकता अभियान चला रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दीपावली के मद्देनजर बारूद एवं पटाखे जलाने को लेकर जरूरी दिशा निर्देश जारी किये हैं.
ग्रीन दीवाली मनाने की अपील ग्रीन दीपावली मनाने की अपील: बोर्ड की ओर से हल्द्वानी में जन जागरूकता प्रचार वाहन के माध्यम से पटाखों से होने वाले प्रदूषण के बारे में बताया जाया जा रहा है. उसके अलावा लोगों से ग्रीन दीपावली मनाने की अपील की जा रही है. प्रचार प्रसार के माध्यम से बताया जा रहा है कि स्वच्छ वातावरण और स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बारूद वाले पटाखे उपयोग नहीं करने के लिए एक दूसरे को जागरूक करें. इसके तहत लोगों से कहा जा रहा है कि अधिक पॉल्यूशन और अधिक आवाज वाले पटाखों का प्रयोग न करें. प्रदूषण मानकों के मुताबिक ग्रीन पटाखे ही दीवाली में जलाने की अपील की है.
ग्रीन दीवाली से प्रदूषण होगा कम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चला रहा जागरूकता अभियान: क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हल्द्वानी द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्रचार प्रसार के माध्यम से लोगों से दीपावली के मौके पर ग्रीन दीपावली मनाने की अपील की जा रही है. क्षेत्रीय प्रबंधक पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड डीके जोशी ने बताया कि देखा जा रहा है कि पटाखों से ध्वनि और वायु प्रदूषण होकर वातावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है. इस पॉल्यूशन को रोकने के लिए सभी की सहभागिता जरूरी है, जिसके लिए विभाग द्वारा जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
प्रदूषण मापने के लिए लगी अतिरिक्त मशीन: इसके अलावा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपावली पर होने वाले पॉल्यूशन की मॉनिटरिंग के लिए नैनीताल और हल्द्वानी में अतिरिक्त मशीन लगाई गई हैं, जिससे कि इस दीपावली पर होने वाले पॉल्यूशन को जांचा जा सके. पीसीबी के क्षेत्रीय प्रबंधक डीके जोशी ने बताया कि हल्द्वानी शहर के जल संस्थान के पास जबकि नैनीताल में नगर पालिका के भवन पर यह मशीन लगी है, जहां 15 दिनों तक पॉल्यूशन की रोजाना निगरानी की जाएगी.
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ग्रीन पटाखों से होती है ग्रीन दीवाली: ग्रीन पटाखों में स्पार्कल्स, पेंसिल और फ्लावर पॉट्स का प्रयोग होता है. इस कारण ग्रीन पटाखे वातावरण को ज्यादा प्रदूषित नहीं करते हैं. ग्रीन पटाखे साइज में छोटे होते हैं. इसलिए इनके निर्माण में कच्चा माल कम लगता है. ग्रीन पटाखों को बनाते समय पीएम यानी पार्टिक्यूलेट मैटर का खास ध्यान रखते हैं. इससे धमाका होने पर कम से कम प्रदूषण फैलता है. ग्रीन पटाखों की एक और खास बात ये है कि ये 110 से 125 डेसिबल के बीच ही आवाज करते हैं. इसके विपरीत दूसरे पटाखे 160 डेसिबल या उससे ज्यादा की ध्वनि करते हैं. साफ जाहिर है कि ग्रीन पटाखे करीब 30 फीसदी कम ध्वनि प्रदूषण करते हैं.