हल्द्वानी:नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. इंदिरा हृदयेश दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बैठक में हिस्सा लेने के लिए शनिवार को दिल्ली पहुंची थीं. दिल्ली के उत्तराखंड भवन में उन्होंने आखिरी सांस ली.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 7 अप्रैल 1941 को जन्मीं इंदिरा हृदयेश का राजनीतिक सफर काफी शानदार रहा. उत्तराखंड में उनकी पहचान कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में थी. 80 वर्ष के उम्र में नेता प्रतिपक्ष का निधन आज (13 जून, 2021) को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने के निधन हो गया.
पढ़ें- इंदिरा हृदयेश के निधन पर सीएम तीरथ और त्रिवेंद्र सिंह ने जताया दुख
इंदिरा हृदयेश का सफरनामा
डॉक्टर इंदिरा हृदयेश उत्तराखंड की राजनीति में कद्दावर नेता मानी जातीं थीं. उनको उत्तराखंड की 'आयरन लेडी' भी कहा जाता था. उन्होंने स्नातकोत्तर (हिंदी एवं राजनीतिक विज्ञान) में पीएचडी की. इंदिरा का विवाह 13 अक्टूबर 1967 में हुआ.
4 बार विधान परिषद के लिए निर्वाचित
इंदिरा हृदयेश साल 1974 में पहली बार गढ़वाल कुमाऊं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य निर्वाचित हुईं. इसके बाद साल 1986, 1992 और फिर 1998 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुईं. उत्तर प्रदेश विधान परिषद में इतिहास में सर्वाधिक मतों से जीतने वाली महिला होने का रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज है.
पढ़ें- पीएम मोदी के पारिवारिक गुरु भद्रतुंगा में कर रहे साधना, सरयू नदी की बता रहे महत्ता
3 बार विधानसभा के लिए चुनीं गईं
साल 2002 से 2012 और साल 2017 के आम चुनाव में उत्तराखंड विधानसभा की सदस्य निर्वाचित हुईं. साल 2012 से 2017 तक उत्तराखंड सरकार में वित्त, वाणिज्य कर, स्टाफ एवं निबंध संसदीय कार्य निर्वाचन जनगणना भाषा एवं प्रोटोकॉल मंत्री रही हैं. वर्तमान समय में उत्तराखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष थी.
कई बार इंदिरा का नाम सीएम की चर्चा में रहा
इंदिरा हृदयेश का नाम पिछले चार दशक से उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीति में बड़े-बड़े नेताओं में शुमार रहा. वैसे तो इंदिरा सीएम बनाए जाने को लेकर कई बार चर्चा में आईं, लेकिन राज्य गठन के दो दशक बाद भी मुख्यमंत्री का सपना पूरा नहीं हो पाया.
पार्टी के लिए पूरा जीवन समर्पित करने वाली इंदिरा हृदयेश के मुख्यमंत्री बनने को लेकर उनको कई बार मलाल रहा. इसको लेकर हरीश रावत और उनके बीच कई बार जुबानी जंग भी चली. पूर्व सीएम स्व. एनडी तिवारी की वह बेहद नजदीकी मानी जाती थी.
'सुपर मुख्यमंत्री' के रूप में जानीं गईं इंदिरा
इंदिरा हृदयेश को एनडी तिवारी की सरकार में सुपर मुख्यमंत्री तक तक कहा जाता था. उस समय ये प्रचलित था कि इंदिरा जो कह दें, वह पत्थर की लकीर होती थी. साल 2007 से 2012 तक में इंदिरा हृदयेश चुनाव नहीं जीत सकीं, लेकिन 2012 में एक बार फिर वह विधानसभा चुनाव जीतीं. विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में वित्त मंत्री व संसदीय कार्य समेत कई महत्वपूर्ण विभाग संभाले.
इंदिरा ने किया पार्टी का नेतृत्व
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी से जीत हासिल की. इस दौरान कांग्रेस विपक्ष में बैठी, तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष के रूप में पार्टी का नेतृत्व करने का मौका भी मिला.