उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

पुलिस सेवा नियमावली मामला पहुंचा HC, सरकार को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश - Nainital High Court

उत्तराखंड पुलिस सेवा नियमावली 2018-19 (संशोधन सेवा नियमावली) में किए गए बदलाव के मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के अंदर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए है.

etv bharat
पुलिस सेवा नियमावली मामला पहुंचा कोर्ट

By

Published : Oct 14, 2020, 5:27 PM IST

Updated : Oct 15, 2020, 2:30 PM IST

नैनीताल:उत्तराखंड पुलिस सेवा नियमावली 2018- 19 (संशोधन सेवा नियमावली) में किए गए बदलाव के मामले में कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के अंदर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

पुलिस सेवा नियमावली मामला पहुंचा HC

बता दें कि पुलिसकर्मी सत्येंद्र कुमार एवं अन्य द्वारा दायर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर किया गया था. याचिका दायर कर कहा है कि विभाग की सेवा नियमावली के अनुसार पुलिस कॉन्स्टेबल आर्म्स फोर्स को पदोन्नति के अधिक मौके दिए हैं. जबकि सिविल एवं इंटेलिजेंस को पदोन्नति के लिये कई चरणों से गुजरना होगा, जबकि उच्च अधिकारियों द्वारा उप निरीक्षक से निरीक्षक व अन्य उच्च पदों पर अधिकारियों की पदोन्नति निश्चित समय पर केवल डीपीसी द्वारा वरिष्ठता/ज्येष्ठता के आधार पर होती है. लेकिन पुलिस विभाग की रीढ़ कहे जाने वाले, पुलिस के सिपाहियों को पदोन्नति हेतु उपरोक्त मापदंड न अपनाते हुए, लिखित परीक्षा व शारीरिक परीक्षा के साथ साथ कई अन्य प्रकियाओं से गुजरना पड़ता है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि इन प्रक्रिया को पास करने के उपरान्त कर्मियों के सेवा अभिलेखों के परीक्षण के बाद पदोन्नति होती है, इस प्रकार उच्च अधिकारियों द्वारा निचले स्तर के कर्मचारियों के साथ दोहरे मानक अपनाए जाते है, जिस कारण 25 से 30 वर्ष की संतोषजनक सेवा (सर्विस) करने के बाद भी सिपाहियों की पदोन्नति नहीं हो पाती है.

ये भी पढ़ें :उज्ज्वला गैस धारकों के लिए अच्छी खबर, 31 दिसंबर तक मिलेगा फ्री सिलेंडर

जिस वजह से अधिकांश पुलिसकर्मी सिपाही के पद पर भर्ती होते है और सिपाही के पद से ही बिना पदोन्नति के रिटायर हो जाते हैं. क्योंकि निचले स्तर के कर्मचारियों की पदोन्नति हेतु कोई निश्चित समय अवधि निर्धारित नहीं की गई है, और न ही उच्च अधिकारियों द्वारा इस तरफ कभी कोई ध्यान दिया गया है और ये नियमावली में समानता के अधिकार का भी उलंघन करती है.

Last Updated : Oct 15, 2020, 2:30 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details