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Uttarakhand High Court: प्लास्टिक प्रतिबंध और कूड़ा निस्तारण मामला, 8 हजार ग्राम पंचायतों का शपथ पत्र पेश करने पहुंचे सैकड़ों अधिकारी - उत्तराखंड हाईकोर्ट

बुधवार 15 फरवरी को 8 हजार ग्राम पंचायतों का शपथ पत्र पेश करने के लिए सैकड़ों की संख्या में ग्राम पंचायत अधिकार उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुंचे थे, जिस पर 20 फरवरी को सुनवाई होगी.

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Published : Feb 15, 2023, 8:55 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने, जैविक और अजैविक कूड़े के निस्तारण को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में विचाराधीन अल्मोड़ा हवालबाग निवासी जितेंद्र यादव की जनहित याचिका पर 20 फरवरी को सुनवाई होनी है. इस सुनवाई का सबसे अहम हिस्सा राज्य के करीब 8 हजार ग्राम प्रधानों की ओर से गांवों में कूड़े का निस्तारण करने हेतु किये गए इंतजामों के बारे में हाईकोर्ट में शपथ पत्र के साथ जबाव दाखिल करना है. इस जबाव को शपथ पत्र के साथ तैयार करने के लिये राज्य के गांवों से बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी बुधवार को हाईकोर्ट पहुंचे थे, जिससे हाईकोर्ट परिसर में काफी भीड़ रही.

इस संबंध में हाईकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने बताया कि सभी प्रधानों या ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को हाईकोर्ट नहीं आना है, बल्कि ब्लॉक स्तर से समन्वय बनाकर ये शपथ पत्र लाये जाने हैं. इस क्रम में हर ब्लॉक से सीमित संख्या में कर्मचारी यहां आ रहे हैं. राज्य में 95 ब्लॉक हैं और हर ब्लॉक से ये शपथ पत्र यहां लाये जा रहे हैं. शपथ पत्र में गांवों में जगह जगह लगाए गए जैविक एवं अजैविक कूड़ेदानों की फोटो, कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था व स्वच्छता सम्बन्धी सूचनाएं शपथ पत्र के साथ देनी है. ये शपथ पत्र क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतों की ओर से भी दाखिल होने है.
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पिछले माह हुई सुनवाई के दौरान कुमाऊं व गढ़वाल मंडल के आयुक्त एवं अन्य अधिकारी कूड़ा निस्तारण के संबंध में किये गए उपायों की जानकारी देने हाईकोर्ट में पेश हुए थे, लेकिन कोर्ट उनके जबावों से संतुष्ट नहीं थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने जिला और ग्राम पंचायत के सभी प्रधानों से कूड़ा निस्तारण अधिनियम की धारा 6 के अनुपालन में सख्ती से शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए थे, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा स्थापित किए जाने वाले कूड़ेदानों के चित्र पूरे ब्यौरे के साथ न्यायालय के समक्ष पेश करने को कहा था.

शपथ पत्र में उन्हें यह भी खुलासा करना चाहिए कि इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में उनके सामने क्या कठिनाइयां आ रही है और अधिनियम की धारा 6 द्वारा उन पर डाले गए दायित्वों का निर्वहन करने में सक्षम होने के लिए राज्य से किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है.
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हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि संयुक्त सचिव, पंचायती राज और उत्तराखंड सरकार का यह दायित्व होगा कि वह राज्य के समस्त जिला पंचायतों/ग्राम पंचायतों/स्थानीय प्राधिकारियों को अनुपालन हेतु इस निर्देश की सूचना दें और इस शपथ पत्र को संकलित कर 20 फरवरी को हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें.

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