हल्द्वानी: हर साल आठ मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया जाता है. महिला दिवस बनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकार के प्रति उनको जागरूक करना है. आज हम आपको नैनीताल की रहने वाली पिंक लेडी के नाम से मशहूर आशा शर्मा की कहानी बताने जा रहे है, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जंग लड़ते हुए अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई है. पिंक लेडी आशा शर्मा आशा फाउंडेशन के नाम से एक संस्था चला रही है. आशा शर्मा न सिर्फ ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित जैसी बीमारियों के बारे में महिलाओं को जागरूक कर रही है, बल्कि इस तरह की बीमारियों से ग्रसित महिलाओं के लिए आशा की किरण की दे रही है.
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कुमाऊं मंडल में पिंक लेडी के नाम से मशहूर आशा शर्मा वैसो तो ग्रहणी है, लेकिन अपने परिवार की देखभाल के साथ वो महिलाओं के लिए आशा फाउंडेशन के नाम से एक संस्था भी चलाती है. आशा शर्मा ने बताया कि साल 2011 में उनको सर्वाइकल कैंसर के अलावा ब्रेस्ट कैंसर हो गया था. असहनीय दर्द के साथ आशा ने हिम्मत नहीं हारी और लंबे संघर्ष के बाद सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी को हराया.
आशा शर्मा ने बताया कि जब वो कैंसर को हराकर घर पहुंची और इसके बारे में अध्यन किया तो उन्होंने देखा कि 60 से 70 प्रतिशत महिलाओं को सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जानकारी ही नहीं है. ऐसे में उन्होंने महिलाओं को जागरूक करने का बीड़ा उठाया. जिसके लिए उन्होंने आशा फाउंडेशन नाम की एक संस्था बनाई. इसके बाद उन्होंने अपने साथ कई महिलाओं को जोड़ा और कुमाऊं मंडल के अलग-अलग शहरों में जाकर सेमिनार और जन कार्यक्रम के जरीए महिलाओं को कैंसर के प्रति जागरूक करने का काम किया. ताकि समय रहते महिलाओं को सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर जानकारी मिल सके और वो समय से इसका इलाज शुरू कर सकें.
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आशा शर्मा ने बताया कि महिलाओं में मुख्य रूप से सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर की समस्या सबसे अधिक होती है, लेकिन जानकारी के अभाव में महिलाएं लापरवाही बरतती हैं. जिस कारण उनकी जान भी चली जाती है.
पिंक लेडी आशा शर्मा ने बताया कि महिलाओं में अपने स्तन या सर्वाइकल कैंसर होने के स्थिति में तुरंत उसकी जांच कराने की जरूरत है. सर्वाइकल कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा 40 साल की उम्र की महिलाओं को होता है. पहाड़ में अधिकाश महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के बारे में जानकारी नहीं है.